IIT Mandi No Code AI Agent Course: बिना कोडिंग सीखे बनें AI प्रोफेशनल

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तकभारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी ने पेशेवरों के लिए एक नया No Code AI Agent Course शुरू किया है, जिसमें किसी भी तकनीकी पृष्ठभूमि की आवश्यकता नहीं है। यह 23 घंटे का हाइब्रिड प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रोफेशनल्स को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग सिखाएगा — वह भी बिना एक भी लाइन कोड लिखे।

IIT Mandi No Code AI Agent Course को Technology Innovation Hub (TIH) और Nagent AI ने मिलकर डिजाइन किया है। इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को AI से जोड़ना है जो डॉक्टर, वकील, HR मैनेजर, बिजनेस लीडर या उद्यमी हैं और अपने क्षेत्र में AI को लागू करना चाहते हैं। वहीं, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) के छात्रों ने आपदा प्रबंधन में क्रांति लाने वाला ड्रोन-रोवर सिस्टम विकसित किया है, जो युद्ध या भूकंप जैसी स्थितियों में घायलों को तुरंत बचाव की दिशा दिखाएगा। ये दोनों इनोवेशन भारत की तकनीकी क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।

IIT मंडी का 23 घंटे का AI कोर्स: अब हर कोई बनेगा AI एजेंट

डॉक्टर, वकील, एचआर मैनेजर या बिजनेस लीडर अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करने के लिए कोडिंग सीखने को मजबूर नहीं होंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी ने ऐसे पेशेवरों के लिए एक विशेष 23 घंटे का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका उद्देश्य उन्हें बिना किसी तकनीकी पृष्ठभूमि के AI एजेंट बनाना है।

AI एजेंट बिना कोडिंग के इस प्रशिक्षण में 8 घंटे ऑनलाइन और 15 घंटे कैंपस में दिए जाएंगे। इसका पूरा फोकस इस बात पर है कि प्रतिभागी यह समझें कि AI कैसे काम करता है, डेटा को कैसे समझता है, और व्यावसायिक निर्णयों को कैसे अधिक सटीक और स्मार्ट बनाता है।

यह कार्यक्रम विशेष रूप से उन लीडर्स के लिए डिज़ाइन किया गया है जिनके पास कम से कम पांच साल का कार्य अनुभव है। कोर्स के प्रमुख विषयों में मशीन लर्निंग, डेटा एनालिसिस, और ऑटोमेशन को वास्तविक व्यावसायिक समस्याओं में लागू करना शामिल है। कोर्स शुल्क ₹49,999 है, जिसमें प्रशिक्षण के साथ-साथ कैंपस में रहने और खाने का खर्च भी शामिल है।

आईआईटी मंडी का 23 घंटे का हाइब्रिड कोर्स उन पेशेवरों के लिए डिजाइन किया गया है, जिनकी तकनीकी पृष्ठभूमि शून्य है। इसमें 8 घंटे ऑनलाइन और 15 घंटे कैंपस ट्रेनिंग शामिल है, जिसका शुल्क 49,999 रुपये है—यह फीस ट्रेनिंग, रहना और भोजन सब कवर करती है। कोर्स में प्रतिभागी सीखेंगे कि एआई कैसे डेटा समझता है और व्यावसायिक फैसलों को सटीक बनाता है। फोकस कोडिंग पर नहीं, बल्कि एआई टूल्स के व्यावहारिक इस्तेमाल पर है। मार्केटिंग, हेल्थकेयर, लीगल और एचआर लीडर्स, प्रोडक्ट मैनेजर्स तथा उद्यमी—जिनके पास कम से कम 5 साल का अनुभव हो—इसमें आवेदन कर सकते हैं। आईआईटी मंडी का इनोवेशन हब (आईहब) और नैजेंट एआई संयुक्त प्रमाणपत्र देंगे।

यह प्रोग्राम भारत के बढ़ते एआई टैलेंट गैप को भरने की दिशा में बड़ा कदम है। हाल के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 2025 तक 10 लाख एआई जॉब्स की जरूरत होगी, लेकिन नो-कोड एआई ट्रेनिंग जैसे प्रयास प्रोफेशनल्स को तेजी से अपस्किल करने में मदद करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बिजनेस में मशीन लर्निंग और डेटा एनालिसिस का इस्तेमाल दोगुना हो सकता है।

एआई का प्रोफेशनल वर्कप्लेस में प्रभाव

DTU का रोबोटिक रोवर: आपदा में जीवन बचाने वाली टेक्नोलॉजी

दूसरी ओर, डीटीयू के बीटेक छात्रों ने ट्राइएज रोबोटिक्स सिस्टम तैयार किया है, जो आपदा प्रभावित क्षेत्रों में मानव जोखिम कम करेगा। यह ड्रोन आसमान से मैपिंग करेगा, जहां सबसे ज्यादा घायल होंगे, वहां लोकेशन भेजेगा। फिर रोबोटिक रोवर पहुंचकर सिर्फ एक मिनट में चिकित्सा मूल्यांकन करेगा—चोट की जगह, दर्द, रक्त प्रवाह और श्वसन दर जैसी डिटेल्स। बोल सकने वाले घायलों से बातचीत भी संभव होगी। तकनीकी नवाचार का दूसरा बड़ा उदाहरण दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (DTU) से आया है। यहां के छात्रों ने एक अनूठा ड्रोन और रोवर सिस्टम विकसित किया है, जिसे आपदा प्रबंधन और आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया के लिए गेम चेंजर माना जा रहा है।

यह रोबोटिक प्रणाली युद्ध, विमान दुर्घटना या भूकंप के दौरान राहत और बचाव कार्यों को अत्यधिक गति प्रदान करेगी।

ऐसे काम करता है यह सिस्टम:

  1. ड्रोन मैपिंग: हादसा स्थल पर, ड्रोन पहले आसमान से मैपिंग करता है और घायलों की सटीक लोकेशन रोवर को भेजता है।
  2. रोवर ट्राइएज: रोबोटिक रोवर (जो उन्नत डीप लर्निंग मॉडल और कई सेंसर, जैसे लिडार और इंफ्रारेड सेंसर से लैस है) घटनास्थल पर पहुँचकर हर घायल का सिर्फ एक मिनट में चिकित्सा मूल्यांकन करता है।
  3. रियल-टाइम डेटा: यह रोवर घायल के रक्त प्रवाह, श्वसन दर, चोट के स्थान और दर्द की जानकारी चिकित्सकों के पास भेजता है। इससे गोल्डन आवर्स में जन हानि को कम करने के लिए तुरंत उपचार संभव हो पाता है।

हाल ही में, अमेरिका की डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी द्वारा आयोजित एक पेशेवर अनुसंधान स्पर्धा में इस भारतीय नवाचार को दूसरा स्थान मिला और $1.5 लाख (लगभग ₹1.32 करोड़) की पुरस्कार राशि प्राप्त हुई। यह भारतीय इंजीनियरिंग नवाचार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जिसकी भारतीय सेना के अधिकारियों ने भी सराहना की है। डीटीयू की टीम अब इस जीवनरक्षक तकनीक का पेटेंट कराने की प्रक्रिया में है।

अमेरिका की डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (डार्पा) की स्पर्धा में इस इनोवेशन को दूसरा स्थान मिला, साथ ही 1.32 करोड़ रुपये का पुरस्कार। गत सितंबर-अक्टूबर में पेरी, जॉर्जिया में मॉक ड्रिल में तीन रोवर्स ने 25-30 घायलों का मूल्यांकन किया। टीम में आदित्य भाटिया, आदित्य विक्रम सिंह जैसे छात्र प्रमुख हैं, फैकल्टी इंचार्ज प्रो. एच. इंदू हैं। भारतीय सेना ने भी इसे सराहा है, और अब पेटेंट प्रक्रिया चल रही है।

एआई ट्रेनिंग और कोर्सेस

डीटीयू की यूएएस इकाई के छात्रों द्वारा विकसित यह सिस्टम जटिल इलाकों में गोल्डन आवर्स के दौरान जीवन बचाने में कारगर साबित होगा। रोवर में आरजीबी कैमरा, लिडार, इंफ्रारेड सेंसर और डीप लर्निंग मॉडल लगे हैं, जो रिमोट से कंट्रोल होता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. संतोष कुमार ने कहा, “यह भारत के आपदा प्रबंधन ढांचे को मजबूत करेगा, खासकर बाढ़ या भूस्खलन जैसे मामलों में।”

ये दोनों उपलब्धियां दर्शाती हैं कि भारत की युवा पीढ़ी तकनीक से सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रही है। एआई ट्रेनिंग और ड्रोन-रोवर जैसे इनोवेशन न केवल जॉब्स क्रिएट करेंगे, बल्कि आपदा प्रबंधन को भी नई दिशा देंगे।

एआई इनोवेशन और फ्यूचर टेक