भारतीय रेलवे अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की ताकत से ट्रेनों को दौड़ाने की एक बड़ी तैयारी में जुट गया है। भविष्य में अगर आपको पटरियों पर बिना लोको पायलट (ड्राइवर) के ट्रेन दौड़ती दिखे तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। भारतीय रेल में AI कोई नई बात नही हैं वन्दे भारत जैसी ट्रेनों में ये पहले से इन्क्लुड़ है Indian Railways AI पर पूरा फॉक्स कर रहा है, बिना लोको पायलट AI ट्रेन की इस महत्वाकांक्षी योजना को हकीकत में बदलने के लिए उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल ने एक विशेष ‘ऑपरेटिंग AI सेल’ का गठन भी कर दिया है।
रेलवे का यह कदम टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक बड़ी छलांग माना जा रहा है। इस नए AI सेल में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) विभाग के दो विशेषज्ञ कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। इनका मुख्य काम यह अध्ययन करना है कि ट्रेनों के संचालन (ऑपरेशन) में AI का प्रभावी ढंग से कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
मेट्रो सिस्टम में पहले से ही ड्राइवरलेस ट्रेनें संचालित हो रही हैं, और अब भारतीय रेलवे भी इस तकनीक को अपनाने की तैयारी में है। रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों में एआई-सपोर्टेड फीचर्स पहले से मौजूद हैं। कैब सिग्नलिंग सिस्टम को और उन्नत बनाया जा रहा है, जिससे लोको पायलट को ट्रैक पर आने वाले अवरोधों की पहले से जानकारी मिल सकेगी।
कवच प्रणाली का एकीकरण एआई के साथ ट्रेनों की टक्कर को रोकने में कारगर साबित होगी। लखनऊ से कानपुर के बीच 160 किमी प्रति घंटे की क्षमता वाला ट्रैक तैयार किया जा रहा है, जहां एआई से जुड़े माइक्रोप्रोसेसर यूनिट्स का उपयोग होगा। रेलवे स्टेशनों पर खाली रेक की शंटिंग और क्रू मैनेजमेंट सिस्टम में भी एआई का उपयोग शुरू किया जाएगा।
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कैसे काम करेगा Indian Railways AI सिस्टम?
दिल्ली मेट्रो जैसी सेवाओं में ड्राइवरलेस तकनीक पहले से ही सफलतापूर्वक काम कर रही है और अब भारतीय रेलवे भी इसी राह पर है। शुरुआत में, AI का उपयोग स्टेशनों पर खाली कोचों की शंटिंग (इधर-उधर ले जाने) और लोको पायलटों के लिए ड्यूटी रोस्टर तैयार करने वाले क्रू मैनेजमेंट सिस्टम में किया जाएगा।

इसके साथ ही, रेलवे अपनी आधुनिक तकनीकों जैसे ‘कवच’ (स्वदेशी टक्कर रोधी प्रणाली) और सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाली ‘कैब सिग्नलिंग’ को भी AI से एकीकृत करेगा। उदाहरण के लिए, लखनऊ-कानपुर के बीच बिछाए जा रहे 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाले ट्रैक पर लोको पायलट को केबिन में ही आगे के सिग्नल और किसी भी अवरोध की जानकारी पहले से मिल जाएगी। AI इस पूरी प्रक्रिया को और भी सटीक और सुरक्षित बनाएगा।
वंदे भारत जैसी ट्रेनें हैं AI-रेडी
वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी आधुनिक ट्रेनों के फीचर्स पहले से ही AI तकनीक को सपोर्ट करते हैं। रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC) भी यात्रियों के सवालों का जवाब देने के लिए ‘Ask Disha’ जैसे AI चैटबॉट का सफलतापूर्वक उपयोग कर रहा है। अब इसी तकनीक का विस्तार ट्रेन संचालन के मुख्य क्षेत्र में किया जा रहा है।

इस नई पहल का उद्देश्य न केवल मानवीय त्रुटियों को कम करना है, बल्कि ट्रेनों के संचालन को पहले से कहीं अधिक कुशल, सुरक्षित और समयबद्ध बनाना भी है। यह भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।
हालिया विकास और चुनौतियां
हाल के विकास में, भारतीय रेलवे ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफसीसीआईएल) के साथ एमओयू साइन किया है, जिसमें एआई और मशीन लर्निंग आधारित इंस्पेक्शन सिस्टम को लागू किया जाएगा। यह सिस्टम रोलिंग स्टॉक की स्वास्थ्य निगरानी करेगा, जिससे दुर्घटनाओं में कमी आएगी। इसके अलावा, रेलवे एक एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो सुरक्षा, दक्षता और यात्री अनुभव को बढ़ावा देगा।
एआई का उपयोग पहले से ही आईआरसीटीसी में यात्रियों के सवालों के जवाब देने के लिए हो रहा है। हालांकि, चुनौतियां भी हैं, जैसे डेटा प्राइवेसी और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा की उपलब्धता। विशेषज्ञों का मानना है कि एआई से रेलवे की परिचालन लागत कम होगी और समयबद्धता बढ़ेगी।
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भविष्य की संभावनाएं
एआई से ट्रेन अनुसूची ऑप्टिमाइजेशन, प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस और यात्री सुरक्षा में क्रांति आएगी। सरकार की राष्ट्रीय एआई रणनीति के तहत रेलवे को सुपरकंप्यूटिंग संसाधनों तक पहुंच मिलेगी, जो मशीन लर्निंग मॉडल्स को प्रशिक्षित करने में मदद करेगी। यह पहल न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर रेलवे को स्मार्ट बनाने में योगदान देगी।
रेल मंत्री ने हाल ही में कहा कि एआई से रेलवे की क्षमता दोगुनी हो सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।