आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब केवल दफ्तरों और बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय कृषि क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति लाने के लिए तैयार है। टेक्नोलॉजी की दिग्गज कंपनी गूगल (Google) ने भारतीय किसानों के लिए विशेष रूप से दो नए जेनरेटिव AI टूल्स की घोषणा की है, जो खेती के तरीकों को पूरी तरह से बदल सकते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता AI भारत में खेती देगी ये टूल्स न केवल किसानों को स्मार्ट बनाएंगे, बल्कि उनकी उपज बढ़ाने और जोखिम कम करने में भी मदद करेंगे।
भारत में खेती अब तकनीक के नए युग में प्रवेश कर रही है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता AI भारत में खेती, की मिट्टी विश्लेषण और ड्रोन जैसी स्मार्ट तकनीकों ने किसानों के लिए खेती को आसान, उत्पादक और टिकाऊ बना दिया है। हाल के नवाचारों में गूगल और अन्य एग्रीटेक कंपनियों ने ऐसे एआई टूल्स पेश किए हैं, जो किसानों को फसल की निगरानी, मिट्टी की सेहत और मौसम की भविष्यवाणी में मदद कर रहे हैं।
Google के क्रांतिकारी AI टूल्स
गूगल ने भारत में एग्रीटेक स्टार्टअप्स के साथ मिलकर काम करने की अपनी रणनीति के तहत दो शक्तिशाली API (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) पेश किए हैं:

- ALU API (Agricultural Landscape Understanding): यह AI टूल किसी भी खेत की मिट्टी के प्रकार, जलवायु और अन्य पर्यावरणीय कारकों का विश्लेषण करता है। इसके आधार पर, यह किसानों को सलाह देता है कि बुवाई और कटाई के लिए सबसे सही समय कौन सा है और कौन सी फसल उनके खेत के लिए सबसे उपयुक्त रहेगी।
- AMED API (Agricultural Monitoring and Event Detection): यह टूल और भी उन्नत है। यह खेत-दर-खेत पिछले 3 वर्षों के डेटा का विश्लेषण करके खेत का सटीक आकार बताता है और यह अनुमान भी लगाता है कि खेत में कितनी फसल पैदा हो सकती है। यह संभावित पैदावार की मात्रा बताकर किसानों को बाजार की योजना बनाने में मदद करता है। साथ ही, खेत में सुधार के लिए सुझाव भी देता है।
सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये टूल्स स्थानीय भाषाओं में संवाद कर सकेंगे, जिससे देश के हर कोने में मौजूद किसान आसानी से इनका इस्तेमाल कर पाएंगे।
ये टूल्स स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध हैं, जिससे हिंदी, तमिल, तेलुगु और अन्य क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले किसानों को इन्हें समझने और उपयोग करने में आसानी होती है। गूगल ने IIT खड़गपुर के साथ साझेदारी कर डेटासेट तैयार किए हैं, ताकि ये टूल्स भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को बेहतर ढंग से समझ सकें।
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एग्रीटेक स्टार्टअप्स का योगदान
भारत में एग्रीटेक स्टार्टअप्स भी एआई क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। एग्रीफील्ड्स के सह-संस्थापक और सीईओ अमित गुप्ता ने बताया कि एआई, मिट्टी विश्लेषण और ड्रोन-आधारित उपकरण छोटे और मध्यम किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो रहे हैं। ये तकनीकें न केवल फसल की पैदावार बढ़ाती हैं, बल्कि उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग को भी कम करती हैं, जिससे मिट्टी की सेहत बनी रहती है।
उदाहरण के लिए, सागु बागु पहल, जो तेलंगाना में विश्व आर्थिक मंच और भारत सरकार के सहयोग से शुरू हुई, ने खम्मम जिले के 7,000 किसानों की आय को दोगुना कर दिया। इस पहल में एआई-आधारित सलाह, मिट्टी परीक्षण और डिजिटल मार्केटप्लेस का उपयोग किया गया, जिससे मिर्च की पैदावार में 21% की वृद्धि हुई और उर्वरक उपयोग में 5% की कमी आई।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि एआई खेती में क्रांति ला रहा है, लेकिन कई चुनौतियां अभी भी बाकी हैं। छोटे किसानों के पास डिजिटल साक्षरता, इंटरनेट कनेक्टिविटी और महंगे उपकरणों तक पहुंच की कमी है। गुप्ता के अनुसार, सहकारी मॉडल और सरकारी पहल जैसे डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (2021-2025) इन समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम किसानों का भरोसा बढ़ाने में महत्वपूर्ण हैं।
भविष्य की संभावनाएं
एआई और ड्रोन तकनीकों का उपयोग भारत में खेती को टिकाऊ और उत्पादक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ वर्षों में ये तकनीकें छोटे किसानों तक पहुंचेंगी, जिससे खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। एग्री एआई: स्मार्ट फार्मिंग एडवाइजर जैसे मोबाइल ऐप्स, जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं, किसानों को वास्तविक समय में सलाह प्रदान कर रहे हैं।

भारत सरकार की एग्रीस्टैक पहल और इंडिया डिजिटल इकोसिस्टम फॉर एग्रीकल्चर (IDEA) डेटा प्रबंधन को और बेहतर कर रही हैं, जिससे एआई-आधारित भविष्यवाणियां अधिक सटीक होंगी। ये प्रयास न केवल किसानों की आय बढ़ाएंगे, बल्कि जलवायु परिवर्तन और बाजार अस्थिरता जैसी चुनौतियों का सामना करने में भी मदद करेंगे।
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निष्कर्ष
कृत्रिम बुद्धिमत्ता भारत में खेती को नया आयाम दे रही है। गूगल, एग्रीफील्ड्स और अन्य स्टार्टअप्स के नवाचारों के साथ, किसान अब अधिक सूझबूझ के साथ निर्णय ले सकते हैं। हालांकि, इन तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे और किसान शिक्षा पर ध्यान देना होगा। जैसे-जैसे भारत स्मार्ट खेती की ओर बढ़ रहा है, यह तकनीक खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण समृद्धि का आधार बन सकती है।