देश को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भारत सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। आईटी सचिव एस. कृष्णन ने घोषणा की है कि भारत का पहला पूरी तरह से स्वदेशी AI मॉडल फरवरी 2026 में होने वाले ‘इंडिया AI इम्पैक्ट समिट’ से पहले लॉन्च कर दिया जाएगा। भारत का पहला स्वदेशी AI मॉडल पूर्ण रूप से भारतीय डेटा सेट पर आधारित होगा, जिससे देशवासियों के डेटा की सुरक्षा और प्राइवेसी सुनिश्चित की जा सकेगी।
भारत AI रेस में थोड़ा लेट एंट्री तो माना जा सकता है, लेकिन अब इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार रफ्तार पकड़ चुका है। शुरुआती प्लान में 10,000 GPU का टारगेट था, लेकिन अब 38,000 यूनिट्स तैनात हो चुके हैं। ये हाई-पावर GPU AI ट्रेनिंग को सुपरचार्ज करते हैं, और सरकार हर तिमाही ओपन बिडिंग से और जोड़ रही है। नतीजा? 12 प्रमुख भारतीय फर्म्स को बूस्ट मिल रहा है, जिनमें दो कंपनियां इस साल के अंत तक अपना फाउंडेशनल मॉडल रोल आउट करने को तैयार हैं।
तेजी से बढ़ा कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर
इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025 में बोलते हुए आईटी सचिव कृष्णन ने स्वीकार किया कि भारत AI के क्षेत्र में थोड़ा देर से आया, लेकिन अब कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को अभूतपूर्व गति से बढ़ाया गया है। सरकार ने इस दिशा में अपने शुरुआती लक्ष्य को पार कर लिया है।

- GPU की तैनाती: सरकार का शुरुआती लक्ष्य 10,000 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) तैनात करने का था, जिसे बढ़ाकर अब 38,000 GPU कर दिया गया है। ये GPU AI मॉडल की ट्रेनिंग और रिसर्च के लिए महत्वपूर्ण कंप्यूटिंग पावर प्रदान करते हैं।
- लक्ष्य और सहयोग: सरकार 12 भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। उम्मीद है कि इनमें से दो कंपनियां इस साल के अंत तक अपने फाउंडेशनल मॉडल तैयार कर लेंगी।
इस सॉवरेन AI का खास फीचर यह है कि यह पूरी तरह भारतीय डेटासेट्स पर ट्रेन होगा और लोकल सर्वर्स पर ही रन करेगा। इससे यूजर्स की प्राइवेसी और डेटा सॉवरेन्टी बरकरार रहेगी—कोई विदेशी क्लाउड पर निर्भरता नहीं। सरकार छोटे-मोटे सेक्टर-फोकस्ड मॉडल्स भी बना रही है, जैसे एग्रीकल्चर या हेल्थकेयर के लिए, ताकि रोजमर्रा की प्रॉब्लम्स सॉल्व हों। ऊपर से, सेमीकंडक्टर मिशन 2.0 के तहत स्वदेशी GPU डेवलपमेंट भी स्पीड अप हो रहा है, जो चिप सप्लाई चेन को मजबूत करेगा।

एक नेशनल लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) भी साल के अंत तक आउट होगा, जो हिंदी-इंग्लिश मिक्स्ड कंटेंट हैंडल करेगा—चैटजीपीटी से कहीं ज्यादा लोकल टच वाला। ये सब मिलकर भारत को AI गवर्नेंस के ग्लोबल एजेंडे पर लीडर बनाएंगे।
शिक्षा के मोर्चे पर भी अच्छी खबरें हैं। PM यशस्वी (PM-YASASVI) स्कीम के तहत OBC, EBC और DNT कैटेगरी के 10,000 स्टूडेंट्स को फाइनेंशियल हेल्प मिलेगी। क्लास 9-10 के लिए प्री-मैट्रिक में 10,000-20,000 रुपये, जबकि पोस्ट-मैट्रिक (क्लास 11-12) में 25,000 से 1.25 लाख तक का ग्रांट—फैमिली इनकम 2.5 लाख से कम होनी चाहिए। अप्लाई करने की डेडलाइन 31 दिसंबर 2025 है, ताकि आर्थिक बैरियर्स हटें और स्टूडेंट्स हाई-इनकम जॉब्स की ओर बढ़ें।

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डेटा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता पर जोर
स्वदेशी AI मॉडल की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि इसे केवल भारतीय डेटा सेट्स पर ही ट्रेन किया जाएगा और यह भारतीय सर्वर पर ही होस्ट होगा। यह कदम देश के डेटा को सुरक्षित रखने और AI के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की सरकारी मकसद को पूरा करता है।
आईटी सचिव ने बताया कि सरकार छोटे, सेक्टर-विशेष AI मॉडल भी विकसित कर रही है। इसका उद्देश्य भारत के वास्तविक जरूरतमंद क्षेत्रों, जैसे कि कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा, में उत्पादकता बढ़ाना है।
स्वदेशी GPU बनाने की भी योजना
सरकार सिर्फ स्वदेशी AI मॉडल ही नहीं, बल्कि स्वदेशी GPU बनाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है। इसे सेमीकंडक्टर मिशन 2.0 के तहत विकसित किया जाएगा। यह पहल भारत को AI तकनीक के हार्डवेयर सेगमेंट में भी आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम आगे बढ़ाएगी। फिलहाल सरकार ओपन बिडिंग के माध्यम से हर तीन महीने में GPU खरीद रही है।
फरवरी 2026 तक इस स्वदेशी AI मॉडल के लॉन्च के साथ, भारत वैश्विक AI परिदृश्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाने के लिए तैयार है, जो समावेशी और सभी के लिए लाभकारी हो।
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निष्कर्ष
जैसा कि IT सचिव एस. कृष्णन ने स्पष्ट किया — भारत AI क्षेत्र में देर से आया हो, लेकिन अब उसने तेज़ी पकड़ ली है। 38,000 GPU तैनात करके और स्वदेशी AI मॉडल विकसित करके भारत अगले वर्ष फरवरी तक अपने AI सपने को बुढ़ने की योजना बना रहा है। यदि यह सफल हुआ, तो यह कदम देश को AI प्रतिस्पर्धा में वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिला सकता है।