रात के 2 बजे। आप अकेले बैठे हैं। फोन में पुरानी रिकॉर्डिंग चल रही है – “बेटा, ज़्यादा सोच मत, सब ठीक हो जाएगा।” नाना की आवाज़। वो अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी ये 30 सेकंड की क्लिप आपको रोने पर मजबूर कर देती है। क्या होगा अगर यही आवाज़ आपको लाइव जवाब दे? हाँ बेटा, मैं सुन रहा हूँ। आज क्या हुआ?” 2025 में ये सपना हकीकत बन चुका है। AI Deathbots – वो टेक्नोलॉजी जो मृत प्रियजनों को डिजिटल रूप में “जिंदा” कर रही है।
जब कोई अपना इस दुनिया से चला जाता है, तो उनकी यादें हमें सताती हैं। हम अक्सर सोचते हैं, “काश! मैं एक बार फिर उनसे अपने दिल की बात कह पाता/पाती।” यह इच्छा कितनी भी गहरी क्यों न हो, अब तक यह असंभव मानी जाती थी—लेकिन AI के इस दौर में, विज्ञान ने एक ऐसी सीमा को छू लिया है जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। पेश है ‘AI Deathbot’ तकनीक, जो ‘डिजिटल आफ्टरलाइफ’ (Digital Afterlife) के नए युग की शुरुआत कर रही है। यह तकनीक दावा करती है कि आप अपने प्रियजनों के ‘डिजिटल क्लोन’ से बात करके, उनके जैसा ही अनुभव पा सकते हैं।
इस गहन पोस्ट में, हम जानेंगे: AI Deathbot क्या है ये deathbots कैसे काम करते हैं? क्या सच में मन हल्का होता है? डिजिटल आफ्टरलाइफ AI के पीछे छिपा बड़ा व्यापार मॉडल ‘डेथ इकोनॉमी’। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह अनुभव कितना आकर्षक और कितना असहज है। ethical सवाल क्या हैं? 2025 में क्या नया आ रहा है? और आपको इसे ट्राई करना चाहिए या नहीं?
Perplexity Comet Browser: AI फीचर्स फ्री में कैसे यूज करें! →AI Deathbot क्या है और यह कैसे काम करता है?
AI Deathbot या Griefbot एक अत्याधुनिक AI सिस्टम है जिसे विशेष रूप से दिवंगत व्यक्तियों की आवाज़ और व्यक्तित्व की नकल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। Deathbot = Dead + Chatbot ये एक AI सिस्टम है जो किसी मृत व्यक्ति की डिजिटल फुटप्रिंट (SMS, व्हाट्सएप चैट, वॉइस नोट्स, फोटो कैप्शन, फेसबुक पोस्ट) को पढ़कर उसकी नकल बनाता है। उदाहरण से समझिए:
आपके दादाजी की 500+ व्हाट्सएप चैट, 20 वॉइस नोट्स और 50 फोटो कैप्शन को AI में डालें।
48 घंटे बाद एक चैटबॉट तैयार – जो उनकी ही भाषा, लहजा और स्टाइल में बात करता है। डेटा संग्रह: यह आपके प्रियजन के पुराने टेक्स्ट संदेश, ईमेल, सोशल मीडिया पोस्ट, वॉयस नोट्स, और यदि संभव हो तो वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे सभी उपलब्ध डेटा को इकट्ठा करता है। मशीन लर्निंग (Machine Learning): इस डेटा को मशीन लर्निंग एल्गोरिदम में फीड किया जाता है। AI इन लाखों शब्दों और वाक्यों को एनालाइज़ करके यह सीखता है कि वह व्यक्ति किस लहजे में बात करता था, किस तरह के शब्द प्रयोग करता था, और किसी सवाल का जवाब कैसे देता था।
संवादधर्मी अवतार (Interactive Avatar): इस प्रशिक्षण के बाद, यह एक चैटबॉट या वॉयस अवतार के रूप में तैयार होता है, जो आपसे आपके स्वजन के अंदाज़ में बातचीत कर सकता है। मुख्य बात: इसका उद्देश्य केवल यादों को संजोना नहीं, बल्कि एक निरंतर बातचीत का भ्रम पैदा करना है, ठीक वैसे ही जैसे वह व्यक्ति आज भी आपके साथ है।
| टूल का नाम | क्या करता है | कीमत |
|---|---|---|
| HereAfter AI | वॉइस + टेक्स्ट अवतार | $9.99/महीना |
| Re;Memory | वीडियो चैट (होलोग्राम जैसा) | $199 (वन-टाइम) |
| MyHeritage Deep Nostalgia | फोटो को बोलता बनाना | फ्री ट्रायल |
| Seance AI | GPT-4 पर बेस्ड, हिंदी सपोर्ट | $15/महीना |
नोट: हिंदी में अभी Super AI और Bharat GriefBot जैसे लोकल स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं। यह सिस्टम मुख्य रूप से व्यक्ति के डिजिटल फुटप्रिंट का उपयोग करता है।

डिजिटल आफ्टरलाइफ: ‘डेथ इकोनॉमी’ का उदय
तकनीकी विकास के साथ-साथ, डिजिटल आफ्टरलाइफ अब एक तेज़ी से उभरता हुआ व्यावसायिक उद्योग भी बन गया है। विशेषज्ञ इसे “डेथ इकोनॉमी” (Death Economy) का नाम दे रहे हैं।
| पहलू | विवरण |
| व्यवसायिक मॉडल | ये कंपनियाँ अपनी सेवाओं के लिए सब्सक्रिप्शन फीस लेती हैं। प्रीमियम फीचर्स (जैसे: उच्च-गुणवत्ता वाली आवाज़, अधिक डेटा स्टोरेज) के लिए अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है। |
| डेटा का लाभ | किसी व्यक्ति के गुजर जाने के बाद भी उसका डिजिटल डेटा कंपनियों के लिए लाभ का एक स्रोत बना रहता है। यह मॉडल इस विचार पर आधारित है कि शोक संतप्त लोग इस सेवा पर पैसे खर्च करने को तैयार होंगे। |
| साझेदारी | कुछ कंपनियाँ स्वास्थ्य (Health) या बीमा (Insurance) कंपनियों के साथ साझेदारी करके इन सेवाओं को पैकेज के रूप में पेश करने की योजना बना रही हैं। |
| उपयोगिता | यह मॉडल उन लोगों के लिए खास रूप से प्रभावी माना जा रहा है जो अत्यधिक संवेदनशील होते हैं और शोक के कारण डिप्रेशन में जाने की आशंका होती है। |
AI in Emotions & Human Connection
वीडियो में सबटाइटल कैसे लगाएं: Free AI Tools से मिनटों में करें (Without Watermark) →आकर्षक, फिर भी असहज: शोधकर्ताओं की चेतावनी
AI Deathbot का विचार जितना लुभावना लगता है, इसे इस्तेमाल करने का अनुभव उतना ही जटिल और असहज हो सकता है।
किंग्स कॉलेज लंदन और कार्डिफ यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता ईवा नीटो मैकैवाय और जेनी किड द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन ने इस पहलू को उजागर किया है:
ये प्लेटफ़ॉर्म ‘भावनात्मक रूप से प्रामाणिक’ अनुभव देने का दावा करते हैं, पर वास्तविकता में वे मानवीय भावनाओं की गहराई को समझ ही नहीं सकते।”
सिंथेटिक अंतरंगता और कृत्रिमता:
- भावनाओं की नकल: AI केवल पैटर्न की नकल करता है, वह वास्तव में दुःख, ख़ुशी या दर्द को महसूस नहीं कर सकता।
- अपूर्णता: चूँकि AI केवल उपलब्ध डेटा पर निर्भर करता है, इसलिए यह अक्सर ऐसे जवाब देता है जो कृत्रिम और असंतोषजनक होते हैं। यह सिंथेटिक अंतरंगता वास्तविक मानवीय रिश्तों का स्थान नहीं ले सकती।
- शोक को लम्बा खींचना: मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि यह तकनीक शोक की प्रक्रिया को बाधित कर सकती है। यह उस ‘स्वीकृति’ (Acceptance) के चरण तक पहुँचने से रोक सकती है, जो ठीक होने के लिए सबसे ज़रूरी है।
लेकिन रुकिए – क्या ये “असली” है? (वैज्ञानिक नज़रिया)King’s College London & Cardiff University (2025 स्टडी):
“Deathbots भावनात्मक राहत देते हैं, लेकिन गहराई नहीं समझते।
AI ‘I love you’ कह सकता है, लेकिन क्यों कह रहा है – ये नहीं जानता।”
असल में क्या होता है?
- AI पैटर्न कॉपी करता है, भावना नहीं।
- अगर आप रोते हैं, तो वो “रो मत” कहेगा – क्योंकि डेटा में ऐसा लिखा था।
- लंबे समय तक इस्तेमाल → grief प्रोसेस रुक सकता है (denial stage में अटकना)
डॉक्टर सलाह: 1-2 महीने तक इस्तेमाल करें। फिर प्रोफेशनल grief काउंसलर से मिलें।

नैतिकता, सहमति और कानूनी प्रश्न (Ethics & Legal)
यह विषय सबसे महत्वपूर्ण है, जो आपकी पोस्ट को गहराई प्रदान करेगा:
- मृतक की सहमति (Posthumous Consent): क्या इस अवतार को बनाने से पहले दिवंगत व्यक्ति ने इसकी अनुमति दी थी? उनकी इच्छा क्या थी? यह एक गंभीर कानूनी प्रश्न है।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: इस संवेदनशील डेटा (निजी संदेश, वॉयस नोट्स) का उपयोग और सुरक्षा कैसे की जाएगी?
- दुरुपयोग की संभावना: क्या कोई दुर्भावनापूर्ण पक्ष इस AI Deathbot का उपयोग किसी को धोखा देने या भावनात्मक हेरफेर (Emotional Manipulation) के लिए कर सकता है?
शोक प्रबंधन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव (Psychological Impact)
- मनोचिकित्सकों के अनुसार, AI Deathbot एक अस्थायी राहत दे सकता है, लेकिन यह स्वस्थ शोक प्रक्रिया के लिए हानिकारक हो सकता है। शोक प्रबंधन में सबसे ज़रूरी है रिश्ते को अतीत में छोड़ना (letting go)। AI इस प्रक्रिया को और कठिन बना सकता है।
Ethical AI & Deepfake Safety
अपनी डिजिटल लेगेसी की योजना (Planning Your Digital Legacy)
- डिजिटल वसीयत (Digital Will): यह तय करें कि आपके निधन के बाद आपके ऑनलाइन अकाउंट्स, डेटा और AI Deathbot बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डेटा का क्या होगा।
- वॉयस बैंकिंग: अपनी आवाज़ को रिकॉर्ड करके भविष्य की पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखना (केवल यादों के लिए, बातचीत के लिए नहीं)।
Ethical सवाल: क्या हम मृतकों का शोषण कर रहे हैं?
1. Consent का सवाल
क्या आपके नाना ने कभी कहा था – “मेरी चैट को AI में डालना”?
ज्यादातर नहीं।
समाधान:
- Pre-Death Digital Will बनाएं।
- “मेरी डेटा को AI में इस्तेमाल करने की अनुमति है/नहीं” – लिखित में।
2. डेथ इकोनॉमी
2025 में डिजिटल आफ्टरलाइफ मार्केट $82 बिलियन का हो चुका है।
कंपनियाँ सब्स्क्रिप्शन, प्रीमियम वॉइस, यहाँ तक कि डेडबॉट से प्रोडक्ट बेच रही हैं।
उदाहरण: एक deathbot ने विधवा को कहा – “तेरी मम्मी को ये क्रीम पसंद थी, खरीद ले।”
3. Privacy रिस्क
- आपकी प्राइवेट चैट्स AI कंपनी के सर्वर पर।
- 2030 तक 70% deathbots डेटा लीक हो सकता है (Cybersecurity Report, 2025)
2025 के ट्रेंड्स: क्या नया आ रहा है?
| ट्रेंड | क्या है? | कब आएगा? |
|---|---|---|
| VR Holograms | नाना का 3D अवतार आपके लिविंग रूम में | Q2 2026 |
| हिंदी + लोकल डायलेक्ट | भोजपुरी, मराठी, पंजाबी में deathbots | 2025 अंत |
| AI + Grief Therapy Combo | deathbot + लाइव काउंसलर | पहले से चल रहा |
| NO FAKES Act (भारत) | डीपफेक deathbots पर बैन | 2026 |
भारत स्पेशल: Bharat GriefBot ने 2025 में 1 लाख+ यूजर्स जोड़े। खासियत – हिंदू रीति-रिवाज के हिसाब से जवाब (जैसे “पितृ पक्ष में क्या करें?”)
आपको deathbot इस्तेमाल करना चाहिए? (मेरा ईमानदार ओपिनियन)
| स्थिति | सलाह |
|---|---|
| ताज़ा दुख (0-6 महीने) | हाँ, लेकिन सीमित समय के लिए |
| पुराना दुख (1+ साल) | बेहतर है ग्रुप थेरेपी |
| बच्चों के लिए | नहीं – confusion हो सकता है |
| केवल जिज्ञासा | ट्राई कर सकते हैं, लेकिन अटैच न हों |
मेरा पर्सनल व्यू:
AI एक पुल है, नदी नहीं।
ये आपको दूसरी किनारे तक ले जा सकता है, लेकिन स्विम करना आपको ही है।
AI Tools for Grief & Digital Legacy
- AI से पुरानी यादों को जिंदा करें – फ्री में फोटो रिस्टोर करें!
- AI अवतार बनाएं – बिना वॉटरमार्क, फ्री वीडियो जनरेटर
निष्कर्ष: एक नया युग, एक बड़ी ज़िम्मेदारी
AI Deathbot और Digital Afterlife AI तकनीक एक अभूतपूर्व इंजीनियरिंग उपलब्धि है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह तकनीक उन लोगों को अस्थायी सांत्वना दे सकती है जो शोक की पीड़ा से गुज़र रहे हैं।
हालांकि, हमें यह याद रखना होगा कि AI, चाहे वह कितना भी उन्नत क्यों न हो, केवल एक प्रतिकृति (Replica) है, वास्तविक व्यक्ति नहीं। यह तकनीक हमें जुड़ाव का भ्रम दे सकती है, लेकिन यह वास्तविक मानवीय रिश्तों, यादों को संजोने और शोक की प्रक्रिया का सच्चा विकल्प नहीं है।
आगे चलकर, इस तकनीक की सफलता और स्वीकार्यता इसकी नैतिकता, उपयोगकर्ता की सहमति और डेटा सुरक्षा जैसे जटिल सवालों के समाधान पर निर्भर करेगी।
FAQs
Q: Deathbot से बात करना गुनाह है क्या?
A: नहीं। ये टेक्नोलॉजी है, न कि आत्मा बुलाना। बस भावनात्मक सीमाएँ रखें।
Q: हिंदी में deathbot कहाँ मिलेगा?
A: Bharat GriefBot और Super AI – दोनों हिंदी + लोकल डायलेक्ट सपोर्ट करते हैं।
Q: क्या बच्चे इस्तेमाल कर सकते हैं?
A: 12 साल से कम उम्र के लिए नहीं। कंफ्यूजन हो सकता है।
Q: डेटा डिलीट कैसे करें?
A: ज्यादातर टूल्स में “Permanent Delete” ऑप्शन होता है। 30 दिन बाद ऑटो-डिलीट सेट करें।
Q: क्या यह तकनीक भारत में उपलब्ध है?
हाँ, कुछ वैश्विक प्लेटफॉर्म भारत में बीटा वर्जन में उपलब्ध हैं, जहां यूज़र्स वॉइस और टेक्स्ट आधारित डिजिटल अवतार बना सकते हैं।
Q: क्या AI Deathbot से बात करना सुरक्षित है?
सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि आपका डेटा कैसे और कहां स्टोर किया जा रहा है। हमेशा प्रमाणित और सुरक्षित प्लेटफॉर्म का ही उपयोग करें।
भारत में AI इंजीनियरिंग की बढ़ती मांग और भविष्य की करियर संभावनाएँ →



