हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में मुकेश अंबानी निवेश की सलाह दे रहे थे – लेकिन वो deepfake था, जिसने कई लोगों को लाखों का चूना लगाया। ऐसे में, deepfake new rules india एक बड़ी राहत की सांस है। बॉलीवुड अभिनेता अनिल कपूर से लेकर उद्योगपति मुकेश अंबानी तक के Deepfake वीडियो ने यह साबित कर दिया है कि यह खतरा किसी सेलिब्रिटी तक सीमित नहीं है, बल्कि आम नागरिकों और लोकतंत्र तक को प्रभावित कर सकता है।
इसी गंभीर खतरे को देखते हुए, भारत सरकार ने अब कमर कस ली है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने हाल ही में Deepfake New Rules India का मसौदा जारी किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य मिलावटी कंटेंट को नियंत्रित करना और उपयोगकर्ताओं को धोखे से बचाना है। इस पोस्ट में हम जानेंगे कि deepfake new rules india क्या हैं, YouTube का नया deepfake detection tool कैसे काम करेगा, और आप खुद को कैसे सुरक्षित रखें। अगर आप AI टेक के शौकीन हैं या सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं, तो ये पढ़ना जरूरी है – क्योंकि आने वाले दिनों में असली और नकली का फर्क धुंधला हो रहा है।
डीपफेक क्या है? AI की ये ‘जादुई’ तकनीक कैसे धोखा देती है?
डीपफेक (Deepfake) एक AI-बेस्ड टेक्नोलॉजी है जो वीडियो, ऑडियो या इमेज को इतना रियलिस्टिक बना देती है कि पहचानना मुश्किल हो जाता है। ये ‘डीप लर्निंग’ एल्गोरिदम पर काम करती है, जो इंटरनेट पर उपलब्ध लाखों फोटोज/वीडियोज से ट्रेनिंग लेकर किसी व्यक्ति का चेहरा या आवाज चेंज कर देती है।
उदाहरण के लिए:
- ओपनAI का Sora-2: कुछ शब्द टाइप करें, और ये रियल-लाइक वीडियो जेनरेट कर देता है – जैसे सांडों का लैंबोर्गिनी पर हमला!
- गूगल का Veo 3.1: जेमिनी चैटबॉट से लिंक्ड, ये क्रिएटिव वीडियोज बनाता है।
- मेटा का Vibe: इंस्टाग्राम पर शॉर्ट वीडियोज के लिए परफेक्ट, लेकिन मिसयूज का खतरा।
फायदे? क्रिएटर्स के लिए आसान एडिटिंग। लेकिन नुकसान? स्कैम्स, पॉलिटिकल मिसइनफॉर्मेशन, और यहां तक कि रिवेंज पॉर्न। भारत में रश्मिका मंदाना का 2023 का डीपफेक वीडियो हो या हाल का मुकेश अंबानी का फेक इनवेस्टमेंट ऐड – ये सब रियल लाइफ को प्रभावित कर रहे हैं।

भारत में deepfake new rules india: नए IT नियमों का डिटेल्ड ब्रेकडाउन
संसद से लेकर स्ट्रीट लेवल तक, डीपफेक के खतरे पर बहस तेज है। IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये व्यक्तिगत और सोशल लाइफ को बर्बाद कर सकता है, खासकर चुनावों में। इसलिए, MeitY ने 2021 के IT नियमों में संशोधन का ड्राफ्ट जारी किया। मुख्य पॉइंट्स:
AI बना रहा डॉक्टरों को ‘कमजोर’? कोलोनोस्कोपी पर आई चौंकाने वाली स्टडी, फायदे और नुकसान जानें →1. मिलावटी कंटेंट की डेफिनिशन
- कोई भी AI या एल्गोरिदम से बना/मॉडिफाइड कंटेंट जो ‘रियल’ लगे, वो मिलावटी माना जाएगा।
- क्रिएटर्स को अपलोड करते समय इसे अलग कैटेगरी में मार्क करना होगा।
2. लेबलिंग अनिवार्य: 50 लाख+ यूजर्स वाले प्लेटफॉर्म्स के लिए
- फेसबुक, X (ट्विटर), इंस्टाग्राम, YouTube जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स को AI कंटेंट पर प्रमुख लेबल लगाना होगा।
- वीडियो के पहले 10% हिस्से में विजुअल/ऑडियो मार्कर दिखना जरूरी – जैसे “ये AI जनरेटेड है”।
- मेटाडेटा में परमानेंट आईडेंटिफायर ऐड करना, जो एडिट न हो सके।
3. कंटेंट हटाने के नए निर्देश
- अब सिर्फ DIG लेवल या जॉइंट सेक्रेटरी रैंक के अधिकारी ही हटाने का ऑर्डर दे सकेंगे (पहले सब-इंस्पेक्टर भी कर सकते थे)।
- अगर प्लेटफॉर्म ऑर्डर फॉलो न करे, तो वो क्रिएटर जितना ही जिम्मेदार माना जाएगा – फाइन या बैन का खतरा।
- मंथली रिव्यू सिस्टम से ट्रैकिंग।
4. प्लेटफार्म की जवाबदेही:
- यदि संयुक्त सचिव/DIG का निर्देश जाने के बाद भी कंटेंट नहीं हटाया जाता है, तो प्लेटफार्म को भी कंटेंट डालने वाले के बराबर जिम्मेदार माना जाएगा और कार्रवाई होगी।
5. मेटाडाटा और पहचान चिह्न:
- बनाने वाले की पहचान: मिलावटी कंटेंट बनाने या संशोधित करने वाले को स्थायी विशिष्ट मेटाडाटा (Metadata) या पहचान-चिह्न डालना होगा, जिसे बदलना मना होगा।
इन नियमों को इंटरमीडिएरीज से बातचीत के बाद लाया जा रहा है, और प्लेटफॉर्म्स ने लेबलिंग की प्रक्रिया को आसानी से लागू करने का भरोसा दिया है।
गूगल का भारत पर सबसे बड़ा दाँव: विशाखापत्तनम में $15 अरब से बनेगा एशिया का सबसे बड़ा AI हब →ये नियम 1 नवंबर 2025 से लागू हो सकते हैं। प्लेटफॉर्म्स ने सरकार को आश्वासन दिया है कि लेबलिंग आसान है, लेकिन क्रिटिक्स कहते हैं कि ये फ्री स्पीच को प्रभावित कर सकता है। डेनमार्क का मॉडल देखें – वहां हर नागरिक को अपना फेस/वॉइस पर कॉपीराइट राइट्स मिलते हैं, जो भारत के लिए इंस्पिरेशन हो सकता है।
AI वीडियो जेनरेटर्स और टूल्स
- Sora-2 के इनवाइट कोड पाकर तुरंत AI वीडियो क्रिएट करें – क्या आप तैयार हैं क्रांति के लिए?
- Meta AI Vibe से शॉर्ट वीडियोज बनाएं जो वायरल हो जाएं – आज ही ट्राई करें फ्री!
- Google Veo 3 फ्री एक्सेस लें और प्रो-लेवल AI वीडियोज जेनरेट करें – सीक्रेट तरीका जानें!
YouTube का नया deepfake detection tool: क्रिएटर्स के लिए गेम-चेंजर
22 अक्टूबर 2025 को YouTube ने ‘AI Likeness Detection Tool’ लॉन्च किया, जो deepfake new rules india से मैच करता है। ये टूल क्रिएटर्स को उनकी इमेज/वॉइस के बिना परमिशन यूज होने पर अलर्ट देता है।

कैसे काम करता है?
- साइन-अप प्रोसेस: YouTube Partner Program मेंबर्स को फोटो ID (जैसे आधार) और फेस वीडियो सेल्फी सबमिट करनी होगी। 5 दिनों में वेरिफिकेशन।
- डिटेक्शन: YouTube Studio के Content ID टैब में ‘Likeness’ ऑप्शन – AI वीडियोज को स्कैन करता है।
- एक्शन: फेक वीडियो मिले तो रिमूव या आर्काइव रिक्वेस्ट। प्रायोरिटी लेवल पर दिखता है।
- डेटा प्राइवेसी: आपका फेस/वॉइस टेम्प्लेट 3 साल तक स्टोर, लेकिन डिलीट ऑप्शन उपलब्ध।
- ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया (Verification): इस फीचर का उपयोग करने के लिए क्रिएटर्स को एक सख्त ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसमें उन्हें सरकार द्वारा जारी आईडी कार्ड और एक वीडियो सेल्फी सबमिट करनी होगी।
- पहचान और मॉनिटरिंग: सत्यापन के बाद, यूट्यूब के डैशबोर्ड पर Content ID मेन्यू में वे सभी वीडियो लिस्ट हो जाएंगे, जिन्हें AI-जनरेटेड Deepfake के रूप में पहचाना गया है।
- कार्रवाई: क्रिएटर इन Deepfake वीडियो को हटाने (Remove) या आर्काइव करने (Archive) का अनुरोध कर सकता है, जिसके बाद यूट्यूब समीक्षा करके उचित कार्रवाई करेगा।
- उद्देश्य: इस टूल का लक्ष्य क्रिएटर्स को उनकी अनुमति के बिना, उनके चेहरे या आवाज़ का उपयोग करके बनाए गए डीपफेक वीडियो का पता लगाने में मदद करना है।
पहले पायलट में 5000 क्रिएटर्स टेस्ट कर चुके। अनिल कपूर (टाइम मैगजीन के AI इन्फ्लुएंसर्स में) और अक्षय कुमार जैसे स्टार्स ने कोर्ट में deepfake केस लड़ चुके – ये टूल उनकी जंग आसान करेगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में अक्षय के फेक वीडियो पर चिंता जताई, जहां वो योगी आदित्यनाथ बनकर दिखाए गए थे।
deepfake new rules india का असर: रियल-लाइफ उदाहरण और चैलेंजेस
deepfake new rules india सिर्फ पेपर पर नहीं, रियल वर्ल्ड में बदलाव लाएंगे। भारत में 1.4 अरब आबादी के साथ डिजिटल फ्रॉड्स का खतरा बढ़ा है – अनएम्प्लॉयमेंट और लो डिजिटल लिटरेसी इसे और खतरनाक बनाते हैं।
प्रमुख उदाहरण जहां deepfake ने तबाही मचाई
- फाइनेंशियल स्कैम: मुकेश अंबानी का deepfake वीडियो – एक बेंगलुरु CA को 23 लाख का नुकसान। ऐसे केसेज में ai generated video rules से प्लेटफॉर्म्स को फटाफट चेक करना होगा।
- पॉलिटिकल मिसयूज: 2024 चुनावों में कैंडिडेट्स के फेक स्पीच वीडियोज। नए नियम चुनाव आयोग के साथ कोऑर्डिनेट हो सकते हैं।
- पर्सनल अटैक: रश्मिका मंदाना का 2023 deepfake पॉर्न, या असम की एक महिला का केस जहां एक्स-पार्टनर ने AI से इमेज मॉर्फ की। सेलिब्रिटीज जैसे ऐश्वर्या राय, हृतिक रोशन अब कोर्ट जा रहे हैं पर्सनालिटी राइट्स के लिए।
ग्लोबली, डेनमार्क का मॉडल देखें – वहां हर नागरिक को फेस/वॉइस पर कॉपीराइट मिलता है। भारत को भी Article 21 (प्राइवेसी राइट) पर बेस्ड ऐसा कानून चाहिए। लेकिन चैलेंजेस? ओपन-सोर्स टूल्स से deepfake बनाना आसान है, और छोटे क्रिएटर्स पर बोझ। प्लस, फेक न्यूज vs फ्री एक्सप्रेशन का बैलेंस।
| deepfake new rules india vs ग्लोबल अप्रोच | भारत (2025 ड्राफ्ट) | EU AI Act | US Deepfakes Act |
|---|---|---|---|
| लेबलिंग | पहले 10% कंटेंट पर अनिवार्य | हाई-रिस्क AI पर | वॉलंटरी लेकिन पेनल्टी |
| प्लेटफॉर्म रिस्पॉन्सिबिलिटी | 50 लाख+ यूजर्स पर फोकस | स्ट्रिक्ट फाइन | स्टेट-लेवल वैरिएशंस |
| यूजर प्रोटेक्शन | मेटाडेटा ट्रेसिंग | बायोमेट्रिक राइट्स | रिपोर्टिंग मैंडेटरी |
| इंप्लीमेंटेशन | 6 नवंबर तक फीडबैक | 2024 से लागू | प्रपोज्ड |
ये टेबल दिखाता है कि भारत का अप्रोच बैलेंस्ड है, लेकिन इंप्लीमेंटेशन पर नजर रखनी होगी।
डीपफेक डिटेक्शन और सेफ्टी टिप्स
- फेक AI वीडियो कैसे पहचानें – ये 5 ट्रिक्स से कभी न फंसें धोखे में!
- फेस स्वैप AI ऐप्स से वीडियो एडिटिंग – फ्री टूल्स जो आपकी क्रिएटिविटी दोगुना करेंगे!
- AI प्राइवेसी टिप्स – डेटा शेयरिंग से बचें और सेफ रहें, अभी पढ़ें!
ai generated video rules से बचाव: प्रैक्टिकल टिप्स हर यूजर के लिए
deepfake new rules india अच्छे हैं, लेकिन खुद सतर्क रहना जरूरी। यहां कुछ आसान टिप्स, जो deepfake detection tool की तरह काम करेंगे:

- विजुअल चेक: वीडियो में लिप सिंकिंग मैच न करे या नंबर प्लेट्स ब्लर हों – संदेह करें। छोटे क्लिप्स (10 सेकंड) अक्सर फेक।
- रिवर्स सर्च: Google Lens या TinEye से इमेज चेक करें। वॉटरमार्क हटाने की कोशिशें स्पॉट करें।
- प्लेटफॉर्म रिपोर्ट: X या Instagram पर ‘Misinformation’ रिपोर्ट करें। YouTube पर अगर क्रिएटर हैं, तो likeness tool यूज करें।
- एजुकेशन: फैमिली को बताएं – Sora-2 जैसे AI टूल्स क्रिएटिव हैं, लेकिन मिसयूज से बचें। न्यूट्रिशन टिप्स या हेल्थ एडवाइस वाले deepfake से सावधान।
- टूल्स अपनाएं: फ्री ऐप्स जैसे Hive Moderation या Microsoft Video Authenticator यूज करें डेली चेक के लिए।
ये टिप्स न सिर्फ पर्सनल सिक्योरिटी बढ़ाएंगे, बल्कि कम्युनिटी को भी स्ट्रॉन्ग बनाएंगे।
AI सेफ्टी और लेटेस्ट न्यूज
- AI सेफ्टी एंड सिक्योरिटी – नए नियमों से पहले खुद को प्रोटेक्ट करें, आसान गाइड!
- लेटेस्ट AI न्यूज: Grok-4 वीडियो टूल्स – क्या ये deepfake को चैलेंज करेंगे?
- Sora AI वीडियो जेनरेटर यूज कैसे करें – फ्री स्टेप्स से प्रो वीडियोज बनाएं!
निष्कर्ष:
deepfake new rules india AI के डार्क साइड को कंट्रोल करने की दिशा में बड़ा स्टेप है। लेबलिंग से यूजर्स को पावर मिलेगी, और YouTube का deepfake detection tool क्रिएटर्स को शील्ड देगा। लेकिन असली चेंज तभी आएगा जब हम सब सतर्क रहें – क्योंकि AI क्रिएटिविटी देता है, लेकिन ट्रस्ट तो इंसान बनाते हैं। Deepfake New Rules India की यह पहल भारत को डिजिटल सुरक्षा और AI दुरुपयोग को नियंत्रित करने वाले देशों की सूची में आगे ले जाती है।
कानून (जैसे IT नियमों में संशोधन), तकनीक (जैसे AI Likeness Detection Tool) और जन जागरूकता का तालमेल ही इस बढ़ते खतरे का एकमात्र समाधान है। जिस तरह डेनमार्क ने हर नागरिक को उसके चेहरे, आवाज और चाल पर कॉपीराइट (Personality Rights) देने का प्रस्ताव रखा है, भारत में भी एक व्यापक व्यक्तित्व अधिकार कानून (Personality Rights Law) की आवश्यकता है। क्या आपको लगता है ये नियम काफी हैं? कमेंट्स में बताएं! अगर AI टॉपिक्स पर और अपडेट्स चाहिए, तो सब्सक्राइब करें।
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