AI: दोस्ती, धर्म और दवा – तकनीक की दुनिया के चार बड़े अपडेट

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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तेजी से हमारी जिंदगी का हिस्सा बन रही है। कैंसर जैसी घातक बीमारी के इलाज से लेकर क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग तक, एआई हर क्षेत्र में क्रांति ला रही है। लेकिन क्या यह बूम एक बुलबुला है जो फटने वाला है? आज हम लाते हैं एआई की दुनिया की टॉप 5 हलचलें, जो AI लेटेस्ट अपडेट में बाजार, स्वास्थ्य और आस्था को नया आकार दे रही हैं।

गूगल की एआई कैंसर खोज

गूगल ने जेम्मा C2S स्केल (Gemma C2S Scale, 27B पैरामीटर) नामक एक नया विशेषज्ञ AI मॉडल विकसित किया है जो कोशिका जीव विज्ञान (Cellular Biology) को समझने पर केंद्रित है। इस AI ने उपचारों के एक संयोजन की पहचान की जो उपचार के लिए कठिन कैंसर, जिन्हें “कोल्ड ट्यूमर” कहा जाता है, को “हॉट” बना सकता है। कोल्ड ट्यूमर आमतौर पर प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) से छिपे रहते हैं (जिसे एंटीजन प्रेजेंटेशन समस्या कहते हैं)। येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ काम करते हुए, AI ने 4,000 से अधिक दवाओं का परीक्षण करने के लिए एक ड्यूल-कॉन्टेक्स्ट वर्चुअल स्क्रीन का उपयोग किया। इसका उद्देश्य एक ऐसी दवा खोजना था जो वास्तविक रोगी जैसे वातावरण में प्रतिरक्षा संकेत (“Help Me” सिग्नल) को बढ़ाए, लेकिन अलग-थलग कैंसर कोशिकाओं में नहीं (ताकि स्वस्थ ऊतक (Healthy Tissue) में समस्या न हो)। यह खोज कुछ आक्रामक कैंसर को अचानक ठीक करने योग्य बना सकती है।

गूगल का एआई ब्रेकथ्रू: ठंडे ट्यूमर को गर्म करने का नया तरीका

गूगल के जेम्मा-आधारित एआई मॉडल ‘सी2एस स्केल 27बी’ ने कैंसर रिसर्च में मील का पत्थर साबित हो गया है। यह मॉडल ने ‘कोल्ड ट्यूमर’ – जो इम्यून सिस्टम से छिप जाते हैं – को ‘हॉट ट्यूमर’ बनाने का अनोखा तरीका खोजा है। सिल्टासेटिब (सीएक्स4945) दवा और कम डोज इंटरफेरॉन के कॉम्बिनेशन से एंटीजन प्रेजेंटेशन में 50% तक बढ़ोतरी हुई।

AI: दोस्ती, धर्म और दवा, तकनीक की दुनिया के चार बड़े AI लेटेस्ट अपडेट

येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर किए गए लैब टेस्ट्स ने इसे साबित किया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह इम्यूनोथेरेपी के लिए नया द्वार खोलेगा, खासकर उन कैंसर के लिए जो पारंपरिक इलाज से बच जाते हैं। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने इसे ‘विज्ञान और एआई का रोमांचक मेल’ बताया। भारत में, जहां कैंसर के केसेज सालाना 14 लाख बढ़ रहे हैं (एनसीआई डेटा), यह खोज लाखों जिंदगियां बचा सकती है।

क्रिप्टो ट्रेडिंग में एआई का जलवा: ग्रोक-4 ने 500% रिटर्न कमाया

क्रिप्टो बाजार में एआई मॉडल्स की जंग तेज हो गई है। एन ऑफ वन की ‘अल्फा एरेना’ बेंचमार्क में ग्रोक-4 ने बिटकॉइन के बॉटम को सही समय पर पकड़कर 200 डॉलर को 1,000 डॉलर से ज्यादा बना दिया। जीपीटी-5, क्लाउड 3.5 और जेमिनी 2.5 प्रो जैसे दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए ग्रोक ने शॉर्ट से लॉन्ग पोजीशन में स्विच किया।

यह बेंचमार्क रीयल कैपिटल ($10,000 प्रति मॉडल) पर चल रहा है, जहां एआई को बिटकॉइन, इथेरियम और सोलाना जैसे एसेट्स पर ट्रेडिंग करनी पड़ रही है। जे, बेंचमार्क के क्रिएटर, कहते हैं, “यह एआई की रीयल-टाइम डिसीजन मेकिंग टेस्ट है।” लेकिन सावधान! ओपनएआई के पूर्व चीफ ग्रेग ब्रॉकमैन के अनुसार, एआई फोरकास्टिंग सुपरफोरकास्टर्स से मुकाबला करने के एक साल दूर है। भारत के ट्रेडर्स के लिए टिप: टेक्निकल एनालिसिस जैसे आरएसआई और एमएसीडी पर एआई टूल्स यूज करें, लेकिन रिस्क मैनेजमेंट भूलें न।

एआई, डिजिटल ट्विन, क्रिप्टो और नैतिकता

मैथ्यू ग्राहम, Ryze Labs के संस्थापक, ने डिजिटल ट्विन (व्यक्तियों के AI संस्करण) के जटिल भविष्य पर बात की। उन्होंने “AI साइकोसिस” (AI के प्रति अस्वस्थ भावनात्मक जुड़ाव) के खतरे की चेतावनी दी और कहा कि यह तकनीक अनैतिक (Amoral) है। गोपनीयता की बढ़ती चिंताओं, खासकर इरोटिक कंटेंट की अनुमति देने वाले प्लेटफॉर्म्स को देखते हुए, ग्राहम का सुझाव है कि व्यक्तिगत डेटा को एन्क्रिप्ट करने और उपयोगकर्ताओं को उनके डिजिटल ट्विन पर संप्रभुता (Sovereignty) लौटाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक आवश्यक है।

धार्मिक एआई का उदय: गीताजीपीटी से भगवान कृष्ण तक बातचीत

भारत में एआई आस्था से टकरा रही है। गीताजीपीटी जैसे चैटबॉट्स भगवद्गीता पर आधारित कृष्ण से सलाह मांगने का मौका दे रहे हैं। राजस्थान के छात्र विजय मील ने एग्जाम फेलियर के बाद एआई से “कर्म करो, फल की चिंता मत करो” सुनकर प्रेरणा ली। विकस साहू का गीताजीपीटी ने लॉन्च के दिनों में 1 लाख यूजर्स जोड़े।

सद्गुरु की ‘मिरेकल ऑफ माइंड’ ऐप ने 15 घंटों में 10 लाख डाउनलोड्स हासिल किए। लेकिन खतरा भी है: एआई हेलुसिनेशन से गलत सलाह, जैसे “धर्म रक्षा के लिए हत्या जायज”। वेल्सले कॉलेज की होली वाल्टर्स कहती हैं, “एआई तटस्थ लगता है, लेकिन क्रिएटर्स के बायस को कॉपी करता है।” महाकुंभ 2025 में एआई चैटबॉट ‘कुंभ सहायक’ ने लाखों तीर्थयात्रियों की मदद की। क्या मशीनें हमारी आस्था की नई मध्यस्थ बनेंगी?

धर्म में एआई (गीताजीपीटी)

दुनिया भर में, विशेषकर भारत में, श्रद्धालु गीताजीपीटी (GitaGPT) जैसे विशेष रूप से बनाए गए AI (जो भगवद गीता पर प्रशिक्षित हैं) का उपयोग आध्यात्मिक मार्गदर्शन और बातचीत के लिए कर रहे हैं। यह धार्मिक चैटबॉट्स के वैश्विक चलन का हिस्सा है। विशेषज्ञों का कहना है कि हिंदू धर्म में ईश्वर के मूर्त स्वरूपों (मूर्तियाँ) को स्वीकार करने की लंबी परंपरा इस तकनीक और आस्था के संगम के लिए एक आदर्श उदाहरण है। हालांकि, ये AI गैर-निर्णयात्मक और सुलभ मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, लेकिन इनमें जोखिम भी हैं: ये अपने निर्माताओं के पूर्वाग्रहों को दर्शा सकते हैं, और कम तकनीकी साक्षरता वाले उपयोगकर्ता इनके आउटपुट को दिव्य सत्य की वास्तविक आवाज मान सकते हैं (एक संभावित खतरा जिसे “Ungodly Behaviour” कहा गया है)।

एआई बबल का डर: निफ्टी जैसी तेजी, लेकिन जॉब्स पर संकट

एआई ने अमेरिकी बाजार को $35 ट्रिलियन का बूस्ट दिया, लेकिन क्या यह 1929 की क्रैश जैसा बुलबुला है? एनवीडिया का स्टॉक तीन साल में $11 से $180 पहुंचा। वॉरेन बफेट के मीट्रिक्स के अनुसार, वैल्यूएशन 1999 के डॉटकॉम बबल से ऊपर है। जेपी मॉर्गन के जेमी डायमंड चेतावनी देते हैं, “10% करेक्शन का खतरा।”

भारत में, एआई से 10-15% स्थायी बेरोजगारी का अनुमान है। लेकिन सकारात्मक पक्ष: डेटा सेंटर्स के लिए 1.3 लाख इलेक्ट्रीशियन जॉब्स। यूएनसी चांसलर ली रॉबर्ट्स कहते हैं, “एआई को अपनाओ, वरना पीछे रह जाओगे।” क्रिप्टो भी डिजिटल बबल का हिस्सा: 19,500+ कॉइन्स, लेकिन स्कैम्स से सावधान।

GPT-5 के गणित के दावे गलत साबित हुए

OpenAI के एक उपाध्यक्ष द्वारा यह दावा करने के बाद कि GPT-5 ने गणित में 10 पहले से अनसुलझी एर्दोश समस्याओं (Erdős problems) को हल कर दिया है, विवाद खड़ा हो गया। Google DeepMind के CEO, डेमिस हसाबिस, सहित अन्य लोगों ने इस दावे को “शर्मनाक” बताया। एक गणितज्ञ ने स्पष्ट किया कि GPT-5 ने वास्तव में पहले से अनसुलझी समस्याओं को हल नहीं किया था, बल्कि केवल साहित्य में पहले से मौजूद समाधानों को खोजा था, जिनके बारे में उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानकारी नहीं थी।

अन्य हाइलाइट्स: AI लेटेस्ट अपडेट जुगाड़ vs एआई और फ्लाइट ड्रामा

हरियाणा में एक स्कूटर को डीआईवाई क्रेन बनाकर सीमेंट बैग उठाने का वीडियो वायरल। “एआई vs देसी टेक्नोलॉजी” कैप्शन ने लाखों लाइक्स पाए। वहीं, सैन फ्रांसिस्को-दिल्ली फ्लाइट पर आईआईटी ग्रेजुएट ने 11 बीयर्स पीकर पैंट गीली कर दी – सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी।

एआई का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन नैतिकता और रेगुलेशन जरूरी। क्या आप एआई से डरते हैं या उत्साहित? कमेंट्स में बताएं।