इंटरनेट की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का बोलबाला लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में, एक छोटी लेकिन शक्तिशाली AI स्टार्टअप Perplexity AI ने एक ऐसी खबर से टेक जगत में हलचल मचा दी है, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। Perplexity AI ने टेक दिग्गज Google के सबसे लोकप्रिय ब्राउजर Google Chrome को खरीदने के लिए $34.5 बिलियन की बोली लगाई है। (Perplexity AI Chrome bid) अगर हम आज के एक्सचेंज रेट के हिसाब से देखें, तो $34.5 बिलियन की कीमत भारतीय रुपये में लगभग 2 लाख 88 हजार करोड़ रुपये (2,88,000,00,00,000 रुपये) होती है।
यह एक बहुत बड़ी रकम है, जो भारत के कई बड़े राज्यों के सालाना बजट से भी ज्यादा है। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह डील कितनी विशाल है। क्या Google, अपने सबसे बड़े और सफल प्रोडक्ट्स में से एक को बेचने पर विचार कर रहा है? या फिर यह सिर्फ Perplexity का एक रणनीतिक कदम है? इस लेख में, हम इस पूरी खबर को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि इसके पीछे असली कारण क्या है।
Perplexity AI क्या है?
Perplexity AI एक AI-पावर्ड सर्च इंजन है जो यूजर्स के सवालों का जवाब देते समय रीयल-टाइम वेब सर्च करता है और सटीक, सोर्स-बेस्ड उत्तर देता है। यह कंपनी 2022 में शुरू हुई थी और आज इसकी वैल्यूएशन 18 अरब डॉलर तक पहुंच चुकी है। Who owns Perplexity AI? इसके फाउंडर Aravind Srinivas हैं, जो पहले OpenAI में काम कर चुके हैं। उनके साथ Denis Yarats, Johnny Ho और Andy Konwinski जैसे इंजीनियर्स हैं, जिनका बैकग्राउंड मशीन लर्निंग और AI में है। Perplexity AI फ्री वर्जन में उपलब्ध है, जहां यूजर्स अनलिमिटेड सर्च कर सकते हैं, लेकिन इसमें कुछ लिमिटेशन्स हैं जैसे प्रो सर्च की सीमित संख्या।
कंपनी का फोकस “आंसर इंजन” पर है, जहां यह न सिर्फ सवालों के जवाब देता है बल्कि सोर्सेस को साइट करता है, जिससे यूजर्स जानकारी को वेरीफाई कर सकें। हाल ही में, Perplexity AI ने भारत में अपनी पहुंच बढ़ाई है, जहां Airtel के साथ पार्टनरशिप के तहत यूजर्स को एक साल का फ्री Perplexity Pro सब्सक्रिप्शन मिल रहा है। यह पार्टनरशिप AI को आम लोगों तक पहुंचाने का एक बड़ा कदम है।
आखिर Perplexity AI ने क्यों लगाई Google Chrome के लिए इतनी बड़ी बोली?
यह खबर जितनी चौंकाने वाली है, उसके पीछे का कारण उतना ही दिलचस्प है। इस पूरे मामले को समझने के लिए हमें एक बड़े कानूनी विवाद को समझना होगा। अमेरिका में Google के खिलाफ एंटीट्रस्ट (antitrust) यानी एकाधिकार के दुरुपयोग का एक बड़ा केस चल रहा है। इस केस में Google पर आरोप है कि उसने इंटरनेट सर्च और विज्ञापन बाजार में अपनी वर्चस्व बनाए रखने के लिए कुछ गैर-कानूनी तरीके अपनाए हैं।
अमेरिकी न्याय विभाग (Department of Justice) ने इस मामले में सुझाव दिया है कि Google को अपना क्रोम ब्राउजर बेचने के लिए कहा जाए, ताकि बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके। इसी मौके का फायदा उठाते हुए, Perplexity AI ने Google को यह ऑफर दिया है। Perplexity का मानना है कि क्रोम को एक स्वतंत्र कंपनी के हाथों में सौंपना यूजर्स और बाजार दोनों के लिए फायदेमंद होगा।

Perplexity AI पहले भी ऐसी बोल्ड मूव्स कर चुकी है। इसी साल जनवरी में इसने TikTok के US ऑपरेशन्स को मर्ज करने की ऑफर दी थी। अब Chrome bid के जरिए यह AI सर्च की रेस में आगे निकलना चाहती है, जहां Chrome के 3 अरब से ज्यादा यूजर्स इसे इंस्टेंट एक्सेस देंगे।

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Google Chrome क्यों बिक सकता है?
Google Chrome दुनिया का सबसे पॉपुलर ब्राउजर है, जिसका मार्केट शेयर 65% से ज्यादा है। लेकिन एंटीट्रस्ट केस में अमेरिकी सरकार का कहना है कि Google ने सर्च में मोनोपॉली बनाई है, और Chrome इसके लिए एक बड़ा टूल है। Chrome यूजर्स की सर्च हिस्ट्री, बिहेवियर और डेटा को ट्रैक करता है, जो Google की ऐडवरटाइजिंग एम्पायर को फीड करता है। अगर Chrome अलग हो जाता है, तो Google की सर्च डोमिनेंस कम हो सकती है।
Perplexity AI का मानना है कि Chrome को खरीदकर वह यूजर चॉइस को बढ़ावा देगी और कॉम्पिटिशन को प्रमोट करेगी। लेकिन एनालिस्ट्स का कहना है कि 34.5 अरब डॉलर की बोली कम है – DuckDuckGo के CEO ने Chrome की वैल्यू कम से कम 50 अरब डॉलर बताई है। फिर भी, यह बोली AI इंडस्ट्री में हलचल मचा रही है, जहां OpenAI और Yahoo जैसे प्लेयर्स भी Chrome में इंटरेस्ट दिखा चुके हैं।

Perplexity AI का Google Chrome के लिए क्या है खास प्लान?
Perplexity AI की बोली सिर्फ पैसों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके साथ कुछ महत्वपूर्ण वादे भी किए गए हैं:
- ओपन-सोर्स कोड: Perplexity ने वादा किया है कि वह क्रोमियम (Chromium) के अंडरलाइंग कोड को ओपन-सोर्स रखेगी। इसका मतलब है कि दूसरे ब्राउजर बनाने वाले भी इसका इस्तेमाल जारी रख पाएंगे।
- $3 बिलियन का निवेश: कंपनी ने अगले दो सालों में क्रोम के डेवलपमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर में $3 बिलियन का निवेश करने का प्लान बनाया है।
- Google का डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन: Perplexity ने यह भी कहा है कि वह क्रोम में Google को डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन बनाए रखेगी, ताकि यूजर्स और विज्ञापनदाताओं के लिए स्थिरता बनी रहे।
इन वादों के जरिए Perplexity AI यह दिखाना चाहती है कि उसका मकसद सिर्फ क्रोम पर कब्जा करना नहीं, बल्कि इसे बेहतर बनाना और बाजार में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।
Google Chrome इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
Google Chrome सिर्फ एक ब्राउजर नहीं, बल्कि Google के लिए एक गोल्ड माइन है। इसके 3 बिलियन से ज्यादा यूजर्स हैं, जो इंटरनेट पर सर्च करने वाले कुल यूजर्स का एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा है। क्रोम Google के $300 बिलियन के विज्ञापन साम्राज्य को चलाता है, क्योंकि यह यूजर के व्यवहार, सर्च पैटर्न और वेबसाइट विजिट को ट्रैक करता है। समाचार एजेंसी रायटर्स की खबर के अनुसार
अगर Google को क्रोम बेचना पड़ जाए, तो वह अपने सबसे मूल्यवान डेटा और यूजर इनसाइट्स से हाथ धो बैठेगा, जिससे AI सर्च की दौड़ में उसकी पकड़ कमजोर हो सकती है। यही वजह है कि Perplexity AI और OpenAI जैसी दूसरी AI कंपनियाँ भी क्रोम को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रही हैं।
Perplexity AI का व्यापक विज़न
Perplexity AI सिर्फ़ एक सर्च इंजन नहीं है। कंपनी पहले ही कई क्षेत्रों में कदम रख चुकी है:
- Comet Browser – AI-पावर्ड वेब ब्राउज़र, जो यूज़र के लिए ब्राउज़िंग टास्क खुद संभालता है।
- Perplexity Pro Plan – Airtel Thanks ऐप के ज़रिए भारत में एक साल के लिए मुफ़्त उपलब्ध, जिसकी कीमत लगभग ₹17,000 है।
- ग्लोबल AI सर्च रेस में जगह – ChatGPT और Claude AI जैसे प्रतिस्पर्धियों के साथ सीधे मुकाबले में।
Perplexity AI के प्लान क्या हैं?
अगर डील होती है, तो Perplexity AI Chrome को अपने AI इकोसिस्टम में इंटीग्रेट करेगी। कंपनी ने हाल ही में अपना Perplexity AI browser लॉन्च किया है, जिसका नाम Comet है। Comet एक AI-पावर्ड ब्राउजर है जो यूजर्स के लिए टास्क्स को ऑटोमेट करता है, जैसे वेबपेज को समराइज करना, ईमेल्स मैनेज करना या मल्टी-टैब वर्कफ्लो हैंडल करना। Perplexity AI Comet browser फिलहाल Max सब्सक्रिप्शन ($200/मंथ) पर उपलब्ध है, लेकिन जल्द ही वाइडर रोलआउट होगा।
कंपनी का प्लान है कि Chrome के साथ Comet को मर्ज करके एक “एजेंटिक ब्राउजिंग” सिस्टम बनाया जाए, जहां AI यूजर्स के लिए रिसर्च, शॉपिंग और प्लानिंग जैसे काम करे। भारत में, Perplexity AI ने फाइनेंस फीचर्स लॉन्च किए हैं, जहां यूजर्स BSE और NSE के स्टॉक्स, हिस्टोरिकल डेटा और एनालिसिस एक्सेस कर सकते हैं। यह एक्सपैंशन Airtel पार्टनरशिप से और मजबूत हो रहा है।
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Perplexity AI vs ChatGPT: क्या है बड़ा अंतर?
आपकी जानकारी के लिए, कई लोगों को Perplexity AI और ChatGPT में कन्फ्यूजन होता है, तो आइए इनके बीच का मुख्य अंतर समझते हैं:
विशेषता | Perplexity AI | ChatGPT |
मुख्य काम | एक AI-पावर्ड सर्च इंजन जो इंटरनेट से जानकारी इकट्ठा करके सीधे और सटीक जवाब देता है। | एक AI चैटबॉट जो बातचीत और क्रिएटिव कंटेंट बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। |
जानकारी का स्रोत | रियल-टाइम इंटरनेट डेटा और कई स्रोतों से जानकारी इकट्ठा करता है। हर जवाब के साथ स्रोतों का लिंक देता है। | अपने ट्रेनिंग डेटा पर आधारित जानकारी देता है। हालांकि, अब यह भी इंटरनेट से जानकारी ले सकता है, लेकिन इसका मुख्य फोकस बातचीत है। |
उपयोग | गहरी रिसर्च, सवालों के सीधे जवाब, और टॉपिक को समझने के लिए। | क्रिएटिव राइटिंग, कोडिंग, ईमेल लिखना, और बातचीत करने के लिए। |
Perplexity AI Pricing और Free फीचर्स
Perplexity AI की pricing स्ट्रक्चर सिंपल है। फ्री टियर में यूजर्स अनलिमिटेड सर्च कर सकते हैं, लेकिन प्रो सर्च रोजाना 3 तक लिमिटेड है। Pro सब्सक्रिप्शन ($20/मंथ) में अनलिमिटेड प्रो सर्च, फाइल एनालिसिस और मल्टीपल AI मॉडल्स मिलते हैं। Max प्लान ($200/मंथ) Comet ब्राउजर और एडवांस्ड फीचर्स के लिए है। भारत में Airtel यूजर्स को फ्री Pro एक्सेस मिल रहा है, जो $200 वैल्यू का है। यह pricing मॉडल कंपनी की Perplexity AI valuation को सपोर्ट करता है, जो इन्वेस्टर्स जैसे Nvidia और SoftBank से मिले फंडिंग से 18 अरब डॉलर पर है।
Perplexity AI की अन्य लेटेस्ट न्यूज
Perplexity AI founder Aravind Srinivas ने हाल ही में कहा कि कंपनी मई 2025 में 780 मिलियन क्वेरीज प्रोसेस कर चुकी है, जो 20% मंथली ग्रोथ दिखाता है। कंपनी ने Shopping Hub और फाइनेंस टूल्स लॉन्च किए हैं, जहां यूजर्स क्रिप्टोकरेंसी और स्टॉक्स ट्रैक कर सकते हैं। करियर्स के मामले में, Perplexity AI हाई-टैलेंट इंजीनियर्स को हायर कर रही है, और इसकी वैल्यूएशन इसे AI इंडस्ट्री का हॉट स्पॉट बना रही है।
Apple भी Perplexity AI के साथ पार्टनरशिप पर विचार कर रहा है, लेकिन हाल के कॉन्टेंट स्क्रैपिंग आरोपों ने कुछ चुनौतियां पैदा की हैं। फिर भी, कंपनी का फोकस ट्रांसपेरेंसी और यूजर चॉइस पर है।
भविष्य की दिशा: क्या Google Chrome सच में बिकेगा?
Perplexity AI की यह बोली एक बड़ा कदम है, लेकिन क्या Google इसे स्वीकार करेगा, यह कहना मुश्किल है। Google ने साफ कर दिया है कि वह क्रोम को नहीं बेचना चाहता और वह कानूनी लड़ाई जारी रखेगा। इस मामले में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज अमित मेहता का फैसला आने वाला है, जो भविष्य की दिशा तय करेगा।
Perplexity AI ने हाल ही में अपना AI-पावर्ड ब्राउजर Comet भी लॉन्च किया है। क्रोम को खरीदने की यह बोली चाहे सफल हो या नहीं, यह एक बात तो साबित करती है कि AI कंपनियाँ सिर्फ चैटबॉट्स तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे इंटरनेट के बुनियादी ढांचे को भी बदलना चाहती हैं।
इस खबर से यह तो तय है कि आने वाले समय में AI की दौड़ और भी तेज होगी, और यह देखना दिलचस्प होगा कि Google अपनी बादशाहत को कैसे बचा पाता है।
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