आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रभाव हमारे जीवन के हर पहलू पर दिखने वाला है। शिक्षा और गवर्नेंस, ये दो ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ भारत AI को लेकर बड़ी तैयारी कर रहा है। एक तरफ, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2026 की बोर्ड परीक्षाओं में AI-आधारित मूल्यांकन प्रणाली को बड़े पैमाने पर लागू करने का फैसला किया है, CBSE AI मूल्यांकन तो करेगा ही वहीं दूसरी तरफ, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक स्तर पर AI के सुरक्षित और समावेशी उपयोग के लिए सामूहिक प्रयासों की वकालत की है।
CBSE की बोर्ड परीक्षाओं में AI का प्रवेश
वर्ष 2026 से CBSE की बोर्ड परीक्षाएं एक नए डिजिटल युग में प्रवेश करेंगी। बोर्ड ने मानवीय त्रुटियों को कम करने और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में सटीकता बढ़ाने के लिए AI-आधारित और डिजिटल चेकिंग प्रणाली का विस्तार करने का निर्णय लिया है। बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, पिछले सत्रों में AI-समर्थित उपकरणों की पायलट टेस्टिंग सफल रही है। अब शिक्षक भौतिक कॉपियों के बजाय स्कैन की गई कॉपियों को ऑनलाइन जांचेंगे।
यह प्रणाली मूल्यांकन में एकरूपता, तेज क्रॉस-चेकिंग और मॉडरेटर प्रक्रिया में मदद करेगी। हालांकि, बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि AI शिक्षकों की भूमिका को समाप्त नहीं करेगा। AI केवल डेटा विश्लेषण, त्रुटि पहचान और मॉडरेटर सहयोग के लिए उपयोग किया जाएगा, जबकि अंतिम मूल्यांकन अभी भी शिक्षक ही करेंगे। यह मानव और मशीन का मिला-जुला मॉडल मूल्यांकन प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाएगा।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 2026 की बोर्ड परीक्षाओं में एआई आधारित मूल्यांकन और डिजिटल चेकिंग को बड़े स्तर पर लागू करेगा। CBSE AI मूल्यांकन का मकसद उत्तरपुस्तिकाओं की जांच में सटीकता बढ़ाना और मानवीय त्रुटियां कम करना है।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले सत्रों में एआई समर्थित उपकरणों और ऑन-स्क्रीन मार्किंग की पायलट टेस्टिंग सफल रही। अब अधिक क्षेत्रीय केंद्रों पर डिजिटल प्रक्रिया फैलाई जाएगी। शिक्षक स्कैन की गई कॉपियां ऑनलाइन जांचेंगे, जो जांच में एकरूपता लाएगी और क्रॉस-चेकिंग तेज करेगी।
द्वारका के सीबीएसई केंद्र में एआई सुविधाएं पहले से स्थापित हैं। अगले साल की शुरुआत में शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि एआई शिक्षकों की भूमिका खत्म नहीं करेगा। जांच शिक्षक ही करेंगे, एआई केवल डेटा विश्लेषण, त्रुटि पहचान और मॉडरेशन में मदद करेगा।

यह हाइब्रिड मॉडल जांच को तेज, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाएगा। 2024-25 सत्र में एआई से सैद्धांतिक-प्रायोगिक अंकों का विश्लेषण किया गया। कई स्कूलों में असामान्य अंतर पाए गए, जिसके बाद आंतरिक मूल्यांकन के मानकों पर निर्देश जारी हुए।
एआई शिक्षा क्रांति 2026 के तहत यह कदम छात्रों के भविष्य को मजबूत करेगा। हाल ही में 8 लाख से ज्यादा छात्रों ने सीबीएसई में एआई कोर्स चुना है, जो तकनीक की बढ़ती लोकप्रियता दिखाता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तेजी से बढ़ती ताकत के बीच भारत ने वैश्विक समुदाय को चेतावनी दी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि एआई के सही इस्तेमाल के लिए देशों को संकीर्ण स्वार्थों से ऊपर उठना होगा। यह तकनीक हर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करेगी, इसलिए जिम्मेदार एआई गवर्नेंस जरूरी है।

जयशंकर की AI गवर्नेंस पर चेतावनी
जहां भारत AI को शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपना रहा है, वहीं इसके वैश्विक प्रभाव और चुनौतियों को लेकर भी गंभीर है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘ट्रस्ट एंड सेफ्टी इंडिया फेस्टिवल’ में इस बात पर जोर दिया कि AI के सही इस्तेमाल के लिए दुनिया के देशों को अपने संकीर्ण स्वार्थों से ऊपर उठकर सामूहिक हितों के लिए काम करना होगा।
जयशंकर ने कहा कि AI के संदर्भ में गोपनीयता, पक्षपात और कमजोरियों से संबंधित चिंताएं वास्तविक हैं। AI हर नागरिक और क्षेत्र को प्रभावित करेगा, जिससे नए अवसर और शक्ति के केंद्र उभरेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि AI शासन को संतुलित और नैतिक दृष्टिकोण वाला होना चाहिए। भारत 2026 में होने वाले ‘AI-इंपैक्ट सम्मेलन’ की तैयारी कर रहा है, जो जिम्मेदार और समावेशी AI गवर्नेंस को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगा।
जयशंकर ने चेताया कि नई व्यवस्था में पुरानी संस्थाओं का विश्वास खोने का खतरा है। इसलिए एआई शासन में संतुलन और नैतिक दृष्टिकोण अनिवार्य है। भारत स्वदेशी उपकरणों और नीतियों पर फोकस कर रहा है, ताकि एआई का उपयोग सुरक्षित हो। ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) के लिए भारत की जिम्मेदारी खास है, क्योंकि ये राष्ट्र नई दिल्ली को प्रेरणा के रूप में देखते हैं।
पिछले दशक में भारत ने डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। आधार और यूपीआई जैसे मॉडल ग्लोबल साउथ के लिए उदाहरण हैं। जयशंकर ने कहा, “जब मैं विदेश यात्रा करता हूं, तो ये उपलब्धियां चर्चा का केंद्र बनती हैं। अब एआई क्षेत्र में भी यही मॉडल फैल रहा है।”
भारत की ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए जिम्मेदारी
जयशंकर ने कहा कि भारत पर एक “विशेष जिम्मेदारी” है, क्योंकि ‘ग्लोबल साउथ’ (विकासशील और गरीब देश) प्रेरणा के लिए भारत की ओर देखते हैं। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां अन्य देशों के लिए एक उदाहरण बन रही हैं। उन्होंने बताया कि भारत ने G-20 की अध्यक्षता के दौरान भी AI के जिम्मेदार और समावेशी उपयोग की वकालत की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों को दोहराते हुए, जयशंकर ने कहा, “टेक्नोलॉजी अच्छाई की शक्ति है, लेकिन तभी जब मानवता उसका मार्गदर्शन करे।”
मंगलवार को ट्रस्ट एंड सेफ्टी इंडिया फेस्टिवल 2025 को संबोधित करते हुए जयशंकर ने एआई के पक्षपात, गोपनीयता और कमजोरियों जैसी चिंताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर दिया कि एआई हर नागरिक और क्षेत्र को छुएगा, नए अवसर पैदा करेगा, लेकिन शक्ति के केंद्र भी उभरेंगे। यह फेस्टिवल फरवरी 2026 में होने वाले एआई इंपैक्ट समिट 2026 की तैयारी का हिस्सा है, जहां भारत दायित्वपूर्ण और समावेशी एआई को बढ़ावा देगा।
भारत ने वैश्विक एआई गवर्नेंस की लगातार वकालत की है। जी-20 अध्यक्षता के दौरान नई दिल्ली घोषणा में जिम्मेदार एआई को शामिल किया गया। पीएम नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2025 में पेरिस एआई एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता की। जयशंकर ने कहा, “हमने ब्लेचली पार्क और सियोल समिट्स में भाग लिया। 2026 का एआई इंपैक्ट समिट एआई के प्रभावों पर केंद्रित होगा।”
उन्होंने पीएम मोदी के शब्द उद्धृत किए: “टेक्नोलॉजी अच्छाई की शक्ति है, लेकिन तभी जब मानवता उसका मार्गदर्शन करे।” एआई अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनशैली बदल देगा। इसलिए डिजिटल नागरिकों की सुरक्षा के लिए मजबूत तंत्र बनाना जरूरी है।