AI अब आवाज़ से पकड़ेगा वॉइस-बॉक्स कैंसर: 12,523 रिकॉर्डिंग्स वाले अध्ययन में नई उम्मीद

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने मेडिकल क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाई है। यदि आपकी आवाज में हल्का सा भी बदलाव है, तो अब उसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं होगा। अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक नई स्टडी ने यह साबित कर दिया है कि अब AI से गले के कैंसर का पता सिर्फ आपकी आवाज सुनकर ही लगाया जा सकता है। यह क्रांतिकारी तकनीक, जिसे वॉयस एनालिसिस तकनीक कहा जा रहा है, कैंसर के निदान को हमेशा के लिए बदल सकती है।

‘फ्रंटियर्स इन डिजिटल हेल्थ’ जर्नल में प्रकाशित यह शोध उन लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जो हर साल इस गंभीर बीमारी का शिकार होते हैं। हालिया शोध में पता चला है कि एआई मरीज की आवाज का विश्लेषण कर गले के कैंसर (लैरिंजियल कैंसर) का शुरुआती चरण में पता लगा सकता है। यह खोज फ्रंटियर्स इन डिजिटल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुई है, जो एआई से वॉयस बॉक्स कैंसर डिटेक्शन की नई संभावनाओं को दर्शाती है।

वॉयस बॉक्स कैंसर, जिसे लैरिंजियल कैंसर भी कहते हैं, गले के स्वरयंत्र में शुरू होता है। इसके लक्षणों में आवाज में बदलाव, गले में खराश, सांस लेने या निगलने में दिक्कत शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2021 में विश्वभर में इस कैंसर के 11 लाख से अधिक मामले सामने आए, और करीब 1 लाख लोगों की मृत्यु हुई।

यह शोध ब्रिज2एआई-वॉयस प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो आवाज को स्वास्थ्य बायोमार्कर के रूप में उपयोग करता है। ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 306 लोगों की 12,523 आवाज रिकॉर्डिंग्स का अध्ययन किया। इस दौरान स्वर, पिच, वॉल्यूम और स्पष्टता जैसी ध्वनिक विशेषताओं का विश्लेषण किया गया।

शोध में पाया गया कि पुरुषों में हार्मोनिक-टू-नॉइज रेशियो (एचएनआर) और फंडामेंटल फ्रीक्वेंसी में स्पष्ट अंतर थे। स्वस्थ पुरुषों, सौम्य वोकल फोल्ड लेशन्स वाले और कैंसरग्रस्त पुरुषों की आवाजों में ये भिन्नताएं देखी गईं। हालांकि, महिलाओं में ऐसी कोई ध्वनिक विशेषता नहीं मिली, जो शोध की सीमा रही। शोधकर्ताओं का कहना है कि बड़ा डेटासेट इस कमी को दूर कर सकता है।

क्या है वॉयस बॉक्स कैंसर और इसके शुरुआती लक्षण?

वॉयस बॉक्स कैंसर, जिसे लैरिंजियल कैंसर भी कहते हैं, गले के उस हिस्से में होता है जहाँ से आवाज बनती है। आवाज में बदलाव, जैसे कर्कश या भारीपन, इसका सबसे आम शुरुआती लक्षण है। इसके अलावा, निगलने में तकलीफ, लगातार खांसी और गर्दन में गांठ भी वॉयस बॉक्स कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। 2021 में दुनियाभर में इसके 10 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, जो इसकी गंभीरता को दर्शाते हैं।

कैसे काम करती है आवाज से कैंसर पहचानने वाली AI तकनीक?

इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने 306 लोगों की 12,000 से अधिक वॉयस रिकॉर्डिंग्स का विश्लेषण किया। AI मॉडल को इन आवाजों के बीच के सूक्ष्म अंतर को पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया गया।

विश्लेषण में पाया गया कि कैंसर से पीड़ित पुरुषों की आवाज में हार्मोनिक-टू-नॉइज रेशियो (आवाज में सुर और शोर का अनुपात) और फंडामेंटल फ्रीक्वेंसी स्वस्थ लोगों की तुलना में काफी अलग थी। AI इसी डेटा पैटर्न के आधार पर कैंसर के खतरे की पहचान करता है। यह खोज आवाज से कैंसर की पहचान को एक विश्वसनीय तरीका बनाती है।

धूम्रपान और जीवनशैली: कैंसर के प्रमुख जोखिम कारक

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, धूम्रपान और गले का कैंसर एक-दूसरे से सीधे तौर पर जुड़े हैं। जो लोग धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन करते हैं, उनमें इस कैंसर का खतरा 30 गुना तक बढ़ जाता है। पुरुषों में यह कैंसर महिलाओं की तुलना में अधिक आम है, जिसका एक बड़ा कारण जीवनशैली से जुड़ी आदतें हैं।

गले के कैंसर के जोखिम और रोकथाम

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, धूमपान और अत्यधिक शराब का सेवन इस कैंसर का जोखिम 30 गुना बढ़ा देता है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में खतरा अधिक है। अन्य जोखिम कारकों में ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) शामिल है।

रोकथाम के उपाय:

  • धूमपान और तंबाकू से बचें।
  • शराब का सेवन सीमित करें।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच और एचपीवी वैक्सीनेशन।
  • संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती लक्षणों (जैसे लगातार खांसी, आवाज में बदलाव) को नजरअंदाज करने से कैंसर बढ़ सकता है। आवाज से कैंसर डिटेक्शन तकनीक जोखिम वाले लोगों की जल्दी स्क्रीनिंग में मदद कर सकती है।

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पारंपरिक विधियों से बेहतर क्यों है एआई?

पारंपरिक निदान विधियां जैसे बायोप्सी और वीडियो नैसल एंडोस्कोपी समय लेने वाली, महंगी और आक्रामक हैं। इनमें प्रारंभिक कैंसर का पता लगाना मुश्किल हो सकता है।

एआई-आधारित वॉयस बॉक्स कैंसर डिटेक्शन गैर-आक्रामक और तेज है। शोध में एआई ने पुरुषों में 94% सटीकता दिखाई, जो मौजूदा तरीकों से बेहतर है। यह तकनीक कम लागत में ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्क्रीनिंग को आसान बना सकती है।

AI से गले के कैंसर का पता अब आपकी आवाज से संभव! जानें यह नई तकनीक कैसे काम करती है

भविष्य की संभावनाएं

शोधकर्ता डॉ. फिलिप जेनकिंस ने कहा, “यह स्टडी आवाज से कैंसर डिटेक्शन के नए द्वार खोलती है।” अगले कुछ वर्षों में क्लिनिकल ट्रायल्स इस तकनीक को अस्पतालों तक ला सकते हैं।

एआई पहले से ही स्किन कैंसर (इमेज एनालिसिस) और ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग में सफल है। भविष्य में, स्मार्टफोन ऐप्स के जरिए लोग घर पर अपनी आवाज टेस्ट कर सकेंगे। यह तकनीक स्वास्थ्य असमानताओं को कम करने में मददगार होगी।

पारंपरिक बायोप्सी की तुलना में AI कितना बेहतर?

वर्तमान में गले के कैंसर की पुष्टि के लिए बायोप्सी या एंडोस्कोपी की जाती है, जो एक दर्दनाक और महंगी प्रक्रिया हो सकती है। इसकी तुलना में AI आधारित वॉयस टेस्ट एक बेहतरीन बायोप्सी का नया विकल्प साबित हो सकता है।

  • सुरक्षित: इसमें कोई शारीरिक हस्तक्षेप नहीं होता।
  • तेज: परिणाम मिनटों में मिल सकते हैं।
  • सस्ता: यह जांच को आम लोगों की पहुंच में ला सकता है।
  • प्रारंभिक पहचान: यह शुरुआती चरण में ही बीमारी को पकड़ सकता है, जिससे सफल इलाज की संभावना बढ़ जाती है।

मेडिकल में AI का भविष्य: क्या कहती है यह स्टडी?

यह स्टडी मेडिकल में AI के उपयोग की अपार संभावनाओं को उजागर करती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में इसे एक मोबाइल ऐप के रूप में विकसित किया जा सकता है, जिससे कोई भी व्यक्ति घर बैठे अपनी गले के कैंसर की शुरुआती जांच कर सकेगा। यह तकनीक न केवल कैंसर, बल्कि अन्य बीमारियों की पहचान में भी मील का पत्थर साबित हो सकती है, जहाँ आवाज में बदलाव एक लक्षण होता है।

संक्षेप में, AI से गले के कैंसर का पता लगाने की यह क्षमता स्वास्थ्य सेवा में एक बड़े बदलाव का संकेत है, जहाँ शुरुआती निदान और रोकथाम पर जोर दिया जाएगा।

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