हृदय रोग दुनिया भर में मौतों का प्रमुख कारण बन चुके हैं। अनहेल्दी लाइफस्टाइल और तनाव के चलते युवाओं में भी हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर के मामले बढ़ रहे हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एआई हृदय रोग पता लगाना आसान बनाने के लिए कई नए टूल विकसित किए हैं। ये टूल मैमोग्राम, ईसीजी और एमआरआई जैसी जांचों से दिल की बीमारी AI भविष्यवाणी कर सकते हैं, जिससे समय पर इलाज संभव हो सकेगा।
मैमोग्राम से महिलाओं में हार्ट डिजीज की पहचान
शोधकर्ताओं ने एक ऐसा अनोखा एआई टूल बनाया है जो महिलाओं की केवल उम्र और उनके स्तन के मैमोग्राम (Mammogram) का विश्लेषण करके दिल की बीमारी के जोखिम का पता लगा सकता है। यह टूल गहन मेडिकल रिकॉर्ड्स पर निर्भर नहीं करता, जिससे कम संसाधनों में भी सटीक अनुमान लगाना संभव हो पाता है। इस तकनीक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दिल की बीमारी का पता जल्द से जल्द लगे और रोकथाम के उपाय समय पर किए जा सकें।

ऑस्ट्रेलिया के जार्ज इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने महिलाओं के लिए एक विशेष एआई टूल तैयार किया है। ‘हार्ट’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, यह टूल स्तन के मैमोग्राम और उम्र के आधार पर हृदय रोग का जोखिम आंकता है। 49 हजार से ज्यादा महिलाओं के डेटा पर आधारित इस मॉडल को चिकित्सा रिकॉर्ड की जरूरत नहीं पड़ती। प्रमुख शोधकर्ता क्लेयर अर्नाट ने कहा कि मैमोग्राम से हृदय जोखिम की जांच से रोकथाम आसान हो जाएगी। यह टूल कम संसाधनों में सटीक अनुमान लगाता है, जो विकासशील देशों के लिए वरदान साबित हो सकता है।
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ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने एक और खास एआई टूल, जिसका नाम VA-ResNet-50 है, विकसित किया है। यह टूल 80% तक की सटीकता के साथ वेंट्रिकुलर एरिथमिया (Ventricular arrhythmia) का पता लगा सकता है। वेंट्रिकुलर एरिथमिया, दिल की धड़कन से जुड़ी एक गंभीर समस्या है जो अगर समय पर इलाज न मिले तो जानलेवा साबित हो सकती है। यह टूल इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) की जांच करके मरीजों में भविष्य के जोखिम का अनुमान लगाता है। एक अध्ययन में, इस टूल ने हर 5 में से 4 मामलों में सही भविष्यवाणी की, जिससे डॉक्टरों को यह समझने में मदद मिली कि किस मरीज को लाइफ-सेविंग उपचार की जरूरत है।
ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने भी हार्ट अटैक AI टूल पर बड़ी सफलता हासिल की है। ‘यूरोपियन हार्ट जर्नल डिजिटल हेल्थ’ में छपी स्टडी में VA-ResNet-50 नामक टूल का जिक्र है। लीसेस्टर यूनिवर्सिटी की टीम ने 270 वयस्कों के ईसीजी का विश्लेषण किया। नतीजे दिखाते हैं कि यह टूल 80% सटीकता से वेंट्रिकुलर एरिथमिया का पता लगाता है। इस स्थिति में दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है, जो ब्लड प्रेशर गिराकर जानलेवा साबित हो सकती है। प्रोफेसर आंद्रे एनजी के अनुसार, ईसीजी AI विश्लेषण से जोखिम वाले मरीजों को इम्प्लांटेबल डिफाइब्रिलेटर जैसा इलाज समय पर मिल सकता है।
डीप लर्निंग से हार्ट अटैक के छिपे खतरे की पहचान
अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने MAARS नामक एक एआई मॉडल बनाया है जो मौजूदा मेडिकल गाइडलाइन्स से कहीं ज्यादा प्रभावी है। यह मॉडल मरीजों की कार्डियक एमआरआई इमेज (Cardiac MRI images) और हेल्थ रिकॉर्ड को मिलाकर दिल में मौजूद उन संकेतों को पहचानता है जो डॉक्टरों के लिए सामान्य तौर पर देख पाना मुश्किल होता है। यह खास तौर पर हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (एक आनुवंशिक बीमारी) पर केंद्रित है, जो युवाओं में अचानक हार्ट फेलियर (Heart failure) का एक बड़ा कारण है। इस मॉडल ने जोखिम वाले मरीजों की पहचान में 89% तक की सटीकता दिखाई है, जबकि मौजूदा गाइडलाइन्स की सटीकता सिर्फ 50% है।
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने हार्ट फेलियर AI मॉडल पर काम किया है। जान्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की टीम ने ‘मल्टीमाडल एआइ फार वेंट्रिकुलर अरिदमिया रिस्क स्ट्रैटिफिकेशन (एमएएआरएस)’ विकसित किया। ‘नेचर कार्डियोवास्कुलर रिसर्च’ में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि यह मॉडल एमआरआई इमेज और हेल्थ रिकॉर्ड से 89% सटीकता से अचानक हार्ट फेल का अनुमान लगाता है। 40-60 साल के लोगों में यह 93% तक सही साबित हुआ। प्रमुख वैज्ञानी नतालिया ट्रायानोवा ने कहा कि पारंपरिक तरीके केवल 50% सटीक होते हैं, जबकि यह एआई मॉडल सूक्ष्म घावों को पहचानता है। हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी जैसी अनुवांशिक बीमारियों में यह जीवन बचाने में मददगार है।
सीटी स्कैन का विश्लेषण कर मिलेगी मदद
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन द्वारा समर्थित एक शोध में, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक एआई टूल विकसित किया है जो सीटी कोरोनरी एंजियोग्राम का विश्लेषण करके अगले 10 सालों में होने वाले हार्ट अटैक के खतरे की भविष्यवाणी कर सकता है। यह तकनीक उन मरीजों के लिए खास तौर पर उपयोगी है जिन्हें सीटी स्कैन के बाद कोई गंभीर ब्लॉकेज नहीं दिखाई देता, लेकिन वे फिर भी भविष्य में हार्ट अटैक का शिकार हो सकते हैं। यह टूल सूजन (Inflammation) को पहचानता है जो हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। पायलट प्रोजेक्ट में, इस टूल के उपयोग से 45% तक मरीजों के उपचार में बदलाव किया गया, जिससे उनकी जान बचाई जा सकती है।
ये एआई उपकरण न सिर्फ मरीजों को समय पर सही उपचार पाने में मदद करेंगे बल्कि अनावश्यक मेडिकल प्रक्रियाओं को भी कम कर सकते हैं। आने वाले समय में, इन तकनीकों का व्यापक उपयोग हार्ट हेल्थकेयर में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
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येल स्कूल ऑफ मेडिसिन की एक अन्य स्टडी में ईसीजी इमेज से हार्ट फेलियर का जोखिम पता लगाने वाला एआई टूल सामने आया है। ‘यूरोपियन हार्ट जर्नल’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार, यह टूल अमेरिका, ब्रिटेन और ब्राजील की आबादी पर टेस्ट किया गया। पहले लेखक लवदीप सिंह ढिंगरा ने बताया कि यह सस्ता और आसान तरीका है, जो लक्षण आने से पहले जोखिम बताता है। वैश्विक स्तर पर यह अस्पताल में भर्ती और मौतों को कम कर सकता है।
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की फंडिंग से ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर चारलंबोस एंटोनियाडेस ने सीटी स्कैन पर आधारित एआई टूल विकसित किया। यह 10 साल पहले हार्ट अटैक का अनुमान लगाता है। 40 हजार लोगों के डेटा पर आधारित इस टूल से 20% कम हार्ट अटैक और 8% कम मौतें हो सकती हैं। एनएचएस में इसका पायलट चल रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ये एआई टूल हृदय रोगों से होने वाली मौतों को कम करने में क्रांतिकारी साबित होंगे। भारत जैसे देशों में जहां हृदय रोग महामारी का रूप ले चुके हैं, वहां ये टूल सुलभ जांच सुनिश्चित कर सकते हैं। हालांकि, विविध आबादी पर और परीक्षण की जरूरत है। अगर आप हृदय स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें और नियमित जांच कराएं।
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